मंगल ग्रह का जीवन पर प्रभाव और मांगलिक दोष?

वाराणसी। ज्योतिष अनुसार मंगल अग्नि तत्व ग्रह है जिसकी प्रकृति पित प्रधान है। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। मकर राशि में मंगल उच्च का होकर शुभ फल देता है, कर्क राशि में मंगल नीच यानि कमज़ोर होने से शुभ फल देने में असमर्थ होता है। जबकि वृषभ, मिथुन, कन्या और तुला शत्रु राशियां हैं इस नाते इन राशियों में भी मंगल कमज़ोर होने की वजह से शुभ फल देने में असमर्थ होता है। वैदिक ज्योतिष अनुसार मंगल तृतीय भाव का कारक है जबकि जैमिनी ज्योतिष अनुसार मंगल का विचार भतरी कारक ग्रह के तौर पर किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार मंगल भाई, प्रापर्टी, पराक्रम, दुर्घटना, रोग, कर्ज़ और शत्रुता का कारक है।

मजबूत और शुभ मंगल के लक्ष्ण : कुण्डली में यदि मंगल मजबूत या शुभ फल दे रहा हो तो जातक साहसी, पराक्रमी, अपने विचारों को खुल कर सामने रखता है, घर पूरा बना हुआ, प्रापर्टी के अच्छे सुख, भाई, मित्र, रिश्तेदारों और आस पड़ोस से अच्छे संबंध रखता है। प्रतियोगिता में जीत प्राप्त करता है।

कमजोर और अशुभ मंगल के लक्षण : कुण्डली में यदि मंगल कमज़ोर या अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को शत्रु परेशान करते हैं। कीमती सामान की चोरी, कार्य में बाधा, अचानक आय का साधन बंद होना, कर्ज बढ़ना, घर बनने में बाधा, अचल संपत्ति की कमी, पराक्रम की कमी, प्रतियोगिता में हार, किसी भी तरह के रोग और दुर्घटना, बार-बार मशीनरी खराब होना, स्वभाव में क्रोध और ज़िद जैसे लक्षण सामने आते हैं।

स्वास्थ्य : यदि जन्म कुंडली में मंगल अशुभ फल दे रहा हो तो किसी भी तरह के घाव, चोट, दुर्घटना, क्रोधी और ज़िद्दी स्वभाव, उच्च रक्तचाप, पित यानी गर्मी के रोग और महिलाओं में गर्भ ना ठहरने जैसी बाधा आती है।

करियर : यदि जन्म कुंडली में मंगल शुभ होकर कर्म या लाभ भाव से योग करे तो पुलिस, सेना, कानूनी कार्य, जीव विज्ञान, तकनीकी कार्य, खेलों से संबंधित, दांतों के डॉक्टर, सर्जन, नगर निगम में, वकालत, वन विभाग, इंजीनियरिंग, घर बनाने में काम आने वाली चीजों के कारोबार, हलवाई, फ़ास्ट फूड, नॉन वेज भोजन, बेकरी दुकान, होटल व्यवसाय, केटरिंग और बर्तन संबंधित, बिजली संबंधी, कंप्यूटर संबंधी, रक्षा विभाग, जिम और योगा संबंधित, किसी भी तरह की मशीनरी, खेती और अनाज से जुड़े कारोबार लाभ देते हैं ।

शुभफल : यदि जन्म कुंडली में मंगल 3, 6, 10 या 11वे भाव में हो, अन्य भाव में यदि मंगल मेष, वृश्चिक या मकर राशि का हो तो भी शुभ फल होते हैं।

विशेष : यदि जन्म कुंडली में मंगल शुभ हो तो जातक के पास खुद का घर होता है, घर पूरा बना हुआ होता है। जातक के लिए 25, 37 और 49वे वर्ष में अचल संपत्ति में वृद्धि का योग बनता है।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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