गोधूलि बेला

वाराणसी। गोधूलि बेला पूरे दिन का सबसे अच्छा मुहूर्त होता है। यह वह समय होता है जब सूर्यास्त से पहले गायों की घर वापसी होती है। उनके चलने से पैरों से धूल उठती है, इसलिए इसे गोधूली बेला कहा गया है।

नो वा योगो न मृतिभवनं नैव जामित्र दोषो।
गोधूलिः सा मुनिभिरुदिता सर्वकार्येषु शस्ता।।

गोधूलि बेला संध्या काल के पहले की स्थिति होती है। इस समय आकाश में सूर्य की किरणें सुनहरी छटा बिखेर रही होती हैं। सूर्य में लालिमा होती है और धूप की उपस्थिति भी बनी रहती है। इसे अपराह्न के तुरंत बाद और संध्याकाल से पहले की अवस्था भी कहा जा सकता है।

क्या है गोधूलि बेला : सूर्यास्त या दिन अस्त के जो बीच का समय होता है, उसे गोधूलि बेला या गोधूलि काल कहा जाता है। यह शाम 05 से 07 बजे के बीच का समय होता है। इस बेला या काल को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना गया है, क्योंकि इसी समय गायें अपने घर वापसी करती हैं और यह मां लक्ष्मी के आगमन का समय माना जाता है।

गोधूलि बेला का महत्व : गोधूलि बेला का संबंध घर वापसी से होता है। इस समय गायें, पशु-पक्षियां और अन्य जन अपने घर की ओर लौटते हैं। पक्षियां भी एक कतार में आसमान में उड़ते हुए अपने घोंसने की ओर जाते हैं। यह समय उत्साह, आनंद और उमंग भरा होता है। इसलिए इस बेला में सामान्य दोष सहज ही नष्ट हो जाते हैं।

गोधूलि बेला में कई दोष होते हैं दूर : शुभ या मांगलिक कार्यों के लिए इस बेला को बहुत शुभ माना गया है। इस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह बेला पात और जामित्रादि दोष को नाश करने वाला भी होता है। साथ ही गोधूलि बेला लग्न के दोषों को भी दूर करता है और अष्टम भाव यानी पाप भाव में गोचर कर रहे ग्रहों के कारण उत्पन्न हुए अनिष्टों से मुक्त रखता है।

गोधूलि बेला में जरूर करें ये काम : गोधूलि बेला में तुलसी के पास दीपक जलाना चाहिए। साथ ही इस बेला में आप पीपल, केला और बरगद जैसे धार्मिक वृक्षों के पास भी दीपक जलाएं। इससे त्रिदेवों और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
इस बेला में सूर्य को अर्घ्य देने से धन, बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता की प्राप्ति होती है। छठ पूजा में इसी बेला में अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
पूजा-पाठ के लिए गोधूलि बेला को बहुत अच्छा माना जाता है। इस समय पूजा करने घर पर बरकत बनी रहती है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।

गोधूलि बेला में घर पर आरती जरूर करें। इससे सुख-शांति आती है और घर पर मां लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही रोग-शोक दूर हो जाते हैं।
प्रार्थना के लिए गोधूलि बेला को बहुत अच्छा माना गया है। कहा जाता है कि, इस समय की गई प्रार्थना भगवान सुनते हैं और उसे पूरा करते हैं।
संकटों से बचने और सुख-समृद्धि के लिए गोधूलि बेला में मौन रहना चाहिए। इसलिए इस समय भूलकर भी घर पर वाद-विवाद या कलह-क्लेश न करें।

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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