- कृष्णानगर में 300 वर्षों से होती आ रही है महिषमर्दिनी पूजा
कोलकाता। आज भी श्रावण शुक्ल पक्ष अष्टमी कोकृष्णानगर गोलापट्टी बारोवारी की महिषमर्दिनी पूजा श्रद्धा एवं परंपरा के साथ मनाई जाती है। करीब 350 साल पहले कृष्णानगर गोलापट्टी इलाके में व्यापारी पानी के रास्ते सामान लाते थे और उसका भंडारण करते थे। तभी से इस स्थान को गोलापति कहा जाने लगा । लेकिन अचानक कुछ समुद्री डाकू यहाँ आ गए। समुद्री डाकुओं की बढ़ती संख्या से व्यवसायी निराश थे। समुद्री लूटेरे अचानक व्यवसाइयों पर हमला कर उनका सामान लूट लिया करते थे।
इसके बाद वहां के कुछ स्थानीय लोगों को श्रावण के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को देवी महिषमर्दिनी की पूजा करने का स्वप्न आया। उसके बाद से ही यह पूजा शुरू की गई. आमतौर पर यह पूजा तिथि के अनुसार दुर्गा पूजा से एक दिन बाद होती है। अष्टमी तिथि को माता सप्तमी की पूजा की जाती है, नवमी तिथि को अष्टमी की पूजा की जाती है, दशमी तिथि को नवमी की पूजा की जाती है और एकादशी को देवी की दशमी पूजा की जाती है।
तभी से गोलापट्टी बारोयारी में यह पूजा परंपरा और श्रद्धा के साथ की जा रही है। 43 वर्षों से मंदिर के प्रधान पुजारी विश्वजीत चक्रवर्ती पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस महिषामर्दिनी मां की पूजा करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा, “पहले देवी की पूजा बहुत धूमधाम से की जाती थी, लेकिन अब पैसे की कमी के कारण इसमें कुछ गिरावट आई है, लेकिन यह पूजा 300 से अधिक वर्षों से हर साल होती आ रही है।”