सामयिक कुण्डलिया
लंगोटी में एक ही, ढक लो तन श्रीमान।
आह्वान पर चेलियाँ, लीं मन में ये ठान।।
लीं मन में ये ठान, रहेंगे गुरु से आगे।
लंगोटी तो छोड़, लपेटेंगे हम धागे।
बन चन्दन! तू कर न नज़र नागिन पर खोटी।
भले लिपट लें फाड़ जीन या बाँध लँगोटी।।
लंगोटी में एक ही, ढक लो तन श्रीमान।
आह्वान पर चेलियाँ, लीं मन में ये ठान।।
लीं मन में ये ठान, रहेंगे गुरु से आगे।
लंगोटी तो छोड़, लपेटेंगे हम धागे।
बन चन्दन! तू कर न नज़र नागिन पर खोटी।
भले लिपट लें फाड़ जीन या बाँध लँगोटी।।