साहित्यडीपी सिंह की कुण्डलिया Posted on February 19, 2021 by admin *कुण्डलिया* होते हैं हर वर्ग में, तुष्ट और कुछ रुष्ट। ईश्वर भी क्या कर सके, सबको ही सन्तुष्ट? सबको ही सन्तुष्ट, न कर पाए नारायण। नर की क्या औकात, चरण का है जो रज-कण।। कुढ़ना ही है काम, रात-दिन जगते-सोते। कर्महीन कुछ लोग, इसी लायक ही होते।। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सांतरागाछी स्टेशन में द्वितीय फुटओवर ब्रिज का वर्चुअली उदघाट्न किया लालू की जमानत याचिका खारिज, होली भी जेल में कटेगी