डीपी सिंह की रचना : आन्दोलन

।।आन्दोलन।।
डीपी सिंह

माना, कुछ उपलब्धि देश ने आन्दोलन से पाई है
पर इसकी औलादों ने तो नींव देश की खाई है

आन्दोलन से गांधी के, नेहरू का प्रादुर्भाव हुआ
और यहीं से भारत माता के तन-मन पर घाव हुआ

भारत माँ को काट दिया, कुछ चीन-पाक में बाँट दिया
शेष रहा उसको भी उसने जाति-धर्म में बाँट दिया

जेपी आन्दोलन से लालू जैसा नेता आता है
मानव छोड़ो, भैंसों तक का चारा वो चर जाता है

मुल्लायम जी चढ़े लोहिया के कन्धे का बल लेकर
हिन्दू पर गोली चलवाई, मजहब रक्खा माथे पर

और केजरी अन्ना के आन्दोलन की पैदाइश है
देश लूटकर घर भरना ही जिसके दिल की ख़्वाहिश है

आज़ादी से अब तक हमने इतना धोखा खाया है
इसीलिये अब आन्दोलन पर अविश्वास गहराया है

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