डी पी सिंह की रचनाएं

तेल का खेल

चलता था जब जेल से, मन्त्रालय का खेल
मन्त्री को रेपिस्ट जब, लगा रहे थे तेल

लगा रहे थे तेल, जाँच दल तब डण्डे पर
रख कर गहरी दृष्टि, फण्ड के हर फण्डे पर

काला जादू और, न अब काला धन फलता
“चलता है” का मन्त्र, नहीं बिल्कुल भी चलता

डीपी सिंह

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