दिवा और रात्रि पौष पूर्णिमा व्रत 25 जनवरी गुरूवार को
वाराणसी। पौष पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। पौष पूर्णिमा पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 24 जनवरी बुधवार को रात्रि 09 बजकर 51 मिनट पर हो रहा है। पूर्णिमा तिथि 25 जनवरी दिन गुरुवार को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। पौष पूर्णिमा दिवा और रात्रि पूर्णिमा व्रत 25 जनवरी गुरूवार को ही होगा।
इस दिन भगवान श्रीसत्यनारायण जी की कथा पढ़ना अथवा सुनना, पूजा करना अथवा करवाना बेहद शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान श्रीगणेश, माता पार्वती, भगवान शिव, श्रीसत्यनारायण जी और चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। रात को चंद्रमा निकलने के बाद धूप-दीप से पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
पौष पूर्णिमा पर पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व है कोरोना महामारी के चलते घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और यथा सामर्थ्य किसी जरूरतमंद व्यक्ति एवं ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा अवश्य करें ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, पौष पूर्णिमा सन् 2024 ई. की पहली पूर्णिमा होगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है। पौष पूर्णिमा पर स्नान-दान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी दिन से कल्पवास की शुरुआत भी हो जाती है। इस तिथि पर ही शाकंभरी देवी की जयंती मनाई जाती है।
ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848
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