बच्चे के जन्म के बाद स्तनों के आकार में होता है परिवर्तन, आती है सूजन, इन उपायों से करें सामान्य

कोलकाता। हाल ही मेरा मेरी पत्नी के साथ अपने बड़े भाई के यहाँ जाना हुआ। सामान्य बातचीत के बाद अचानक से मेरी पत्नी ने अपनी जेठानी को कहा भाभी आप से बात करनी है। मेरी भाभी व पत्नी उठकर चली गईं। कुछ देर बाद मेरे भतीजे की पत्नी को उसकी सास ने आवाज दी। तीनों के मध्य कुछ ऐसी बात हुई जो उस वक्त हम भाईयों को नहीं बताई गई। घर लौटने के बाद मेरी पत्नी ने बताया कि आज भाभी से बहू के बारे में बात हुई। विशेष रूप से उसके स्तनों के आकार को लेकर। डिलीवरी के बाद उसके स्तनों का आकार बहुत बढ़ गया है।

बच्चे को जन्म देने के पाँच-छह दिन बाद महिला के स्तनों का बड़ा होना सामान्य और स्वाभाविक बात है। स्तन भारी हो जाते हैं, उनमें दर्द होने लगता है और भारी मात्रा में दूध भी बनने लगता है। अतिरिक्त मात्रा कभी-कभी स्तन के ऊतकों में अतिरिक्त रक्त और लसीका तरल पदार्थ के कारण होती है। हालाँकि, प्रसव के तीन सप्ताह के भीतर परिपूर्णता की यह भावना गायब हो जाती है, इसके बाद दर्द से छुटकारा मिल जाता है।

स्तनों में नरमाहट महसूस होती है और पर्याप्त मात्रा में दूध की आपूर्ति होने से जज्जा सहज महसूस करती है। कभी-कभी स्तनों में सख्ती आ जाती है जिसके चलते बच्चे दूध पीते वक्त निप्पल के सख्त घेरे को पकडऩे में असमर्थ होते हैं, इससे महिलाओं के निप्पल में दर्द बढ़ जाता है और दूध की आपूर्ति कम हो जाती है। इसमें तेज दर्द और बुखार होने की सम्भावना बन जाती है, जिसके चलते महिलाओं को तुरन्त डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

स्तन वृद्धि के लक्षण
  • आपके स्तन सख्त होंगे। इसका मतलब है कि वे सख्त हो जाते हैं, जिससे आपको यह अहसास होता है कि जरा सा स्पर्श करने पर भी आप दूध निकाल सकते हैं।
  • सूजे हुए स्तन देखने लायक दूसरी चीज है। जबकि आपके प्रसव के बाद आपके स्तनों का बड़ा होना आम बात हो सकती है, कभी-कभी स्तन बहुत बड़े हो जाते हैं और असहनीय हो जाते हैं। बच्चे को दूध पिलाने के बाद यदि वे अपनी सामान्य स्थिति में वापस नहीं आते हैं, यह चिंता का विषय है।
  • जब दूध का निर्माण होता है, तो निप्पल चपटे हो जाते हैं, और एरोला भी सख्त हो जाता है। इससे शिशु को मां का दूध पिलाने में मुश्किल हो सकती है।
स्तन वृद्धि के लिए घरेलू उपचार

ब्रा में बदलाव करें
ऐसी परिस्थिति में आपको सबसे पहले अपनी ब्रा में बदलाव करना चाहिए। आपको टाइट ब्रा नहीं पहननी चाहिए। नर्सिंग ब्रा पहनें जो आपको आपके भरे हुए स्तनों से आराम और राहत देगी। सही ब्रा पहनना यह सुनिश्चित करने के लिए है कि आपके स्तन दृढ़ रहें और आदर्श आकार में रहें। सही तरह की ब्रा की तलाश करें।

दर्द निवारक हैं गोभी के पत्ते
गोभी पत्ते इस मामले में आपकी बहुत सहायता कर सकते हैं। यह आपके स्तनों पर आई हुई सूजन को ठीक करने का घरेलू नुस्खा है। गोभी के पत्तों का उपयोग सूजन के इलाज के लिए किया जा सकता है और ठंडी पत्ती भी आपको दर्द से राहत प्रदान करेगी। गोभी की पत्तियों को पहले फ्रिज में रखकर ठंडा करें। उसके बाद इन्हें लगभग 15 मिनट के लिए अपने स्तनों पर रखें। जब आपको पत्तियों में गर्माहट महसूस होने लगे तब उसे हटा दें और उसके बाद एक आरामदायक ब्रा पहनें। इसे आप दिन में दो-तीन मर्तबा करें इससे आपके स्तनों के आकार और दर्द में राहत महसूस
होगी।

बर्फ के टुकड़े लगाना
दर्द से राहत पाने के लिए आप अपने स्तनों पर कोल्ड पैक लगा सकती हैं। बस बर्फ के कुछ टुकड़ों को एक नरम तौलिये में लपेट लें। कोमल दबाव के साथ, स्तनों के क्षेत्रों को तौलिये से अच्छी तरह से दबाएं। 10-15 मिनट का यह ठंडा सेक दिन में कम से कम दो बार करें, इससे आप बड़ी राहत पाएंगी।

गरम पानी का सेक करें
आप अपने स्तनों की सूजन और दर्द को कम करने के लिए गर्म पानी का सेक या गर्म पानी का स्नान भी कर सकती हैं। अपने स्तनों पर गर्म महसूस होने वाले पानी को मग से भरकर डाले। पानी गर्म होना चाहिए लेकिन इतना नहीं कि आपकी त्वचा जल जाए। इस प्रक्रिया से आपके आसानी से दूध आना शुरू होगा और उसका बहवा का प्रवाह सही रहेगा। बच्चे को दूध पीते समय किसी प्रकार की सख्ती महसूस नहीं होगी।

मसाज
आप ब्रेस्ट मसाज की हल्की कोशिश करें। स्तन की मालिश से स्तनपान की उत्तेजना सुनिश्चित होगी और सूजन और सख्ती से आराम मिलेगा। एक प्रभावशाली स्तन मालिश के लिए हल्के हाथों से स्तनों पर दबाव डालें इससे आपको आराम मिलेगा।

स्तन वृद्धि का इलाज करने के अन्य तरीके
  • ब्रेस्ट पंप का उपयोग करने का प्रयास करें। स्तनों से अतिरिक्त दूध को बाहर निकालें। यह प्रक्रिया आपके स्तनों के बोझ को कम करेगी जिससे आपको राहत मिलेगी।
  • बच्चे को दिन में कम से कम 8-10 बार दूध पिलाने का प्रयास करें। यह न सिर्फ बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा अपितु इससे आपको स्तनों में आराम महसूस होगा।
  • नियमित स्तनपान भी जरूरी है। इस तरह, आपका शिशु अपने पोषण के स्रोत के प्रति लगाव विकसित करता है और साथ ही, दर्द में माँ को आराम प्रदान करता है।
    Note : आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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