नार्थ ईस्ट और साउथ इंडिया में बढ़ी बिहार के लीची के पौधों की मांग

मुज़फ्फरपुर। बिहार के मुज़फ्फरपुर की मिट्ठी और रसीली शाही लीची की पहचान देश और विदेशों में भी है, लेकिन अब नार्थ ईस्ट और साउथ इंडिया के लोगों को भी इसका स्वाद पसंद आ रहा है। तभी तो यहां की लीची के पौघों की मांग वहां होने लगी है। नार्थ ईस्ट और साउथ इंडिया के राज्यों में लीची के पौधे लगाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। इन राज्यों में यहां की लीची के पौधों की मांग अचानक से बढ़ गयी है। इन राज्यों में भी अब शाही लीची की बागवानी शुरू कर दी गयी है।

मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसन्धान केंद्र में इस साल इन क्षेत्रों के राज्यों से लगातार पौधों की मांग आ रही है और लोग ले भी जा रहे हैें। लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. शेषधर पांडेय ने बताया, “लीची के पेड़ में कलम (मिट्टी लगाकर बांधना) बांधा जाता है। करीब 40 दिनों में इसमे जड़ आ जाता है। उसके बाद इसे काटकर पौधा का आकार दिया जाता है। इसके बाद उसकी आपूर्ति संबंधित राज्यों में की जाएगी।”

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि पौधे तैयार करने को काम कोई यहां पहली बार हो रहा है। प्रत्येक साल इस अनुसंधान केंद्र में करीब 60 हजार पौधे तैयार किये जाते हैं, जिसमे से 40 हजार पौधा काम में आता है। अन्य पौधे कुछ कारणों से खराब हो जाते हैं। तैयार पौधों को देश के विभिन्न हिस्सों में आपूर्ति की जाती है। मुज़फ्फरपुर के किसान भी यहां से पौधे खरीदकर ले जाते हैं।

डॉ. पांडेय ने बताया, “जब पेड़ से जड़ वाली डाली को काटा जाता है तो उसके बाद इसे वर्मी कम्पोस्ट से तैयार किए गए घोल में रखा जाता है। फिर घोल में भींगे हुए डाली को सूखे हुए वर्मी कम्पोस्ट में रखा जाता है। इसके बाद इसे एक प्लास्टिक में लपेट दिया जाता है। एक माह तक यह वहीं पर रहता है।”

निदेशक बताते हैं, “पौधे तैयार करने का 15 जून के बाद का समय सबसे उत्तम होता है, क्योंकि अभी बारिश होती है। इस समय पेड़ में कलम बांधने पर जड़ तुरन्त निकल जाता है और 40 दिन बाद इसकी कटाई कर ली जाती है। यह प्रक्रिया अगस्त तक चलती है।”

पांडेय भी मानते हैं कि हाल के दिनों में यहां की लीची की मांग अन्य राज्यों में बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के लोग यहां प्रशिक्षण भी लेते हैं और लगातार संपर्क में बने रहते हैं।

उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश, उतराखंड, मध्य प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा से भी यहां की लीची की मांग आई है। यह कोई एक समय का काम नहीं है, यह एक प्रक्रिया है जो जारी रहती है। मांग आती रहती और पौधों की आपूर्ति होती रहती है।”

उल्लेखनीय है कि बिहार की शाही लीची देश और विदेशों में भी चर्चित है। इस साल लीची ब्रिटेन तक पहुंच चुकी है। शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है। बिहार के मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय सहित कई जिलों में शाही लीची के बाग हैं, लेकिन लीची का सबसे अधिक उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है।

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