Diwali

पारंपरिक दीयों की जगह डिजाइन वाले दीयों की मांग बढ़ी

  • टेराकोटा से बने मिट्टी के दीये बन रहे लोगों की पसंद

कोलकाता/ जयनगर : पारंपरिक दीयों की मांग कम होने के कारण कुम्हार डिजाइन वाले दीयों पर अधिक जोर दे रहे हैं। बंगाल का सबसे अच्छा त्योहार दुर्गा पूजा खत्म हो गया है। तब रोशनी का त्योहार दिवाली की तैयारी जोरों पर हैं। दिवाली में घर को रोशन करने के लिए मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल किया जाता है और कई लोग सजावट के तौर पर टेराकोटा से बने मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करते हैं।

इसलिए दिवाली से पहले दक्षिण 24 परगना जिले के बकुलतला थाना क्षेत्र के गौरहाट कुम्हार पाड़ा के लोग इन दिनों विभिन्न डिजाइनों के मिट्टी के दीपक बनाने में व्यस्त हैं। यहां के कुम्हार मुख्य रूप से टेराकोटा के पैटर्न में विभिन्न प्रकार के दीपक बनाते हैं।

ये कारीगर दिन-रात काम में लगे रहते हैं। जयनगर कुम्हार पाड़ा गांव के कारीगर पुराने दीये बनाने के साथ-साथ नए डिजाइन के टेराकोटा शैली के दीये भी बना रहे हैं। दिवाली का त्योहार नजदीक आते ही मिट्टी के दीये बनाने की व्यस्तता बढ़ गई है।

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