खड़गपुर : जंगल महल अंतर्गत बांकुड़ा के नौ बार के सांसद रहे वासुदेव आचार्य का सोमवार को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। रेल नगरी खड़गपुर से उनका गहरा नाता था। इसलिए बुधवार को बड़ी संख्या में शहर के लोग दिवंगत कॉमरेड को अंतिम विदाई देने उनके पुरुलिया स्थित उनके निवास पहुंचे। बता दें कि खड़गपुर में कई आंदोलनों के माध्यम से स्वर्गीय आचार्य ने रेलवे को कई युवा व महिलाओं को रोजगार और असंगठित रेलवे श्रमिकों की आर्थिक मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर किया था।
रेलवे में इन एसीटी अपरेंटिस की नियुक्ति के लिए सांसद वासुदेव आचार्य के नेतृत्व में 1997 में एक आंदोलन शुरू हुआ, बाद में इसे विभिन्न मंडलों में चलाया गया। तब रेलवे को एक्ट अप्रेंटिसशिप नियोजित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में अन्य प्रभागों की भी नियुक्ति की गई। इसके बाद रेलवे की नौकरियों के लिए गैंगमैन संग्राम समिति के आंदोलन को खड़गपुर में व्यापक सफलता मिली।
भारत के इतिहास में एक अधिसूचना के तहत रेलवे ने 2 लिखित परीक्षाएं आयोजित कीं। यह पैनल रद्द कर दिया गया था। पैनल कोर्ट के माध्यम से वापस आ गया। बोगदा स्थिति आरपीएफ द्वारा किये गये बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज से कई वामपंथी नेता और गैंगमैन अभ्यर्थी लहूलुहान हो गये। इसके बाद वाम नेतृत्व ने अनिल दास और सांसद वासुदेव आचार्य के साथ मिलकर गैंगमैन संग्राम कमेटी का गठन किया और मेदिनीपुर लोकसभा के सांसद प्रबोध पंडा ने लगातार आंदोलन शुरू किया।
कॉम वासुदेव आचार्य व्यापक पहल और वामपंथी सांसदों के साथ रेलवे अधिकारियों के साथ लगातार बैठकों के साथ रेलवे की स्थायी समिति के अध्यक्ष बने। अनिल दास ने गैंगमैन नौकरी के अभ्यर्थियों के साथ खड़गपुर डीआरएम कार्यालय के सामने 171 दिनों का ऐतिहासिक धरना दिया। अंततः गैंगमैन संग्राम समिति का आंदोलन सफल हुआ, 1053 लोगों को खड़गपुर डिवीजन के गैंगमैन के रूप में नियुक्त किया गया, जिनमें से अधिकांश खड़गपुर शहर के लड़के थे।
गैंगमैन आंदोलन के दौरान रेलवे अभ्यार्थियों ने अनिल दास के माध्यम से सांसद वासुदेव आचार्य से मुलाकात की और 2005 में, भारत सरकार से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लगभग 100 लोगों को नियोजित किया गया था। खड़गपुर रेलवे ठेकेदार श्रमिक आंदोलन भी श्रमिक नेता अनिल दास वासुदेव आचार्य के हस्तक्षेप से सफल हुआ।
असंगठित श्रमिकों की वित्तीय मांगों की पूर्ति की गई। रेलवे के संगठित असंगठित मजदूरों के संघर्ष आंदोलन में वे कई बार खड़गपुर आये हैं। खड़गपुर में वासुदेव आचार्य के योगदान को याद करते हुए बुधवार को कई लोगों ने अनिल दास के साथ पुरुलिया में उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी।