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महाराणा के प्रताप का न झेल पाये ताप
मुगलों के बार-बार मुँह काले हो गये
स्वाभिमान से न किया सौदा-समझौता कभी
जङ्गलों में भले रोटी के भी लाले हो गये
चेतक ने साथ दिया अन्त तक, किन्तु कुछ
देशद्रोही राजा शत्रुओं के पाले हो गये
खण्ड किया कुछ को तो अश्व के समेत, कुछ
महाराणा वाले भाले के निवाले हो गए
डीपी सिंह