डीपी सिंह की रचनाएं…

कश्मीर फ़ाइल्स

गद्दियाँ जो हिली न थीं, फुरसत मिली न थी
वादियों में अलगाववादियों के लाड़ से

आज वही राजशाही, कर रही त्राहि त्राहि
दहली है सनातनी सिंहों की दहाड़ से

खानों का गुमान टूटा, ढोल सेकुलर फूटा
सामना हुआ है आज ऊँट का पहाड़ से

न्याय की बँधी है आस, भान हो रहा है भास
झाँकने लगा है भानु भूधरों की आड़ से

–डीपी सिंह

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