डीपी सिंह की रचनाएं

।।विपक्ष की परिभाषा।।

हंगामा हो रक्त में, व्यवधानों में दक्ष।
मिथ्याचारी हों निपुण, कहते उसे विपक्ष।।
कहते उसे विपक्ष, अक्ष से एक बँधे हों।
भले सही हो पक्ष, लक्ष्य, पर, सदा सधे हों।।
कह डीपी कविराय, पहन नानी का जामा।
बैठ भेड़िए बीच सदन करते हंगामा।।

-डी पी सिंह

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