डीपी सिंह की रचनाएं

*कुण्डलिया*

पप्पू निस्सन्देह ही, है शिवभक्त महान।
शिव ने जिसको दे रखा, भस्मासुर-वरदान।।
भस्मासुर-वरदान, इसे जो साथ मिलाये।
होता बन्टाधार, गर्त में वो ही जाये।।
तेजस्वी का तेज, बुआ-बबुआ का चप्पू।
सभी हुवे निस्तेज, मिले जिनसे भी पप्पू।।

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