डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया

अम्मी जिसकी चर्च में, दादा कब्रिस्तान
आज वही हिन्दुत्व पर, बाँट रहा है ज्ञान
बाँट रहा है ज्ञान, देय उपनिषद दुहाई
है जिसकी औकात, पिछत्तिस- साढ़े- ढाई
अब तो आ जा बाज, अरे औलाद निकम्मी
वरना खा कर लात, न करना अम्मी अम्मी

–डीपी सिंह

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