कुण्डलिया
दाना फेंका मुफ़्त का, और जाति का जाल
चुगने में हम व्यस्त हैं, हो तो हो बंगाल
हो तो हो बंगाल, झाल लेकर विकास की
जीत रहे विश्वास, आस लेकर विलास की
लटक कौन से प्लेन, करो तय किस दर जाना
या होना है ख़त्म, ख़त्म होने तक दाना
डीपी सिंह
कुण्डलिया
दाना फेंका मुफ़्त का, और जाति का जाल
चुगने में हम व्यस्त हैं, हो तो हो बंगाल
हो तो हो बंगाल, झाल लेकर विकास की
जीत रहे विश्वास, आस लेकर विलास की
लटक कौन से प्लेन, करो तय किस दर जाना
या होना है ख़त्म, ख़त्म होने तक दाना
डीपी सिंह