चिट्ठी
गाँव गली की ख़ुशबू लेकर, जब भी चिट्ठी आती थी
बाबू अम्माँ गइया बछिया, सबका हाल बताती थी
कुछ आँसू, कुछ खट्टी-मीठी यादों के हिंडोले में
कम लिक्खे को अधिक समझना, कह कर छोड़े जाती थी
डीपी सिंह
चिट्ठी
गाँव गली की ख़ुशबू लेकर, जब भी चिट्ठी आती थी
बाबू अम्माँ गइया बछिया, सबका हाल बताती थी
कुछ आँसू, कुछ खट्टी-मीठी यादों के हिंडोले में
कम लिक्खे को अधिक समझना, कह कर छोड़े जाती थी
डीपी सिंह