डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया

बर्बादी की क्षीर के, अगर न सहनी पीर
या तो जामन डाल लो, या लो बना पनीर
या लो बना पनीर, क्षीर होते हैं बच्चे
संस्कार दो शुद्ध, न खाएँगे फिर गच्चे
फन फैलाये नाग, खड़े हों जब जेहादी
बस शास्त्र और शस्त्र, बचा सकते बर्बादी

डीपी सिंह

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