डीपी सिंह की रचनाएं

बदली ऋतु, मौसम हुआ, जैसे ही अनुकूल
टर्र टर्र टों ट्वीट से, गूँजे सरवर कूल
गूँजे सरवर कूल, वोट हर कोई गिनता
किन्तु सूखता ताल, भला किसको है चिन्ता
अपना-अपना राग, सभी की अपनी ढफली
नाचें हो कर नग्न, चुनावी घिरते बदली
–डीपी सिंह

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