मैडम का खड़ाऊँ ले, खड़गे जी माथे पर
घोड़ों में देखेंगे गधे कितना दौड़ाते हैं
देखें किसे ले के साथ, करते हैं दो दो हाथ
हाथ बीजेपी के गढ़ में वो आजमाते हैं
दल की जो टूटी फूटी नाव दलदल में है
चुनावों में उसे खे के तट पे लगाते हैं
रेन कोट ओढ़ कर नये मनमोहन जी
कीचड़ में कहाँ तक, कितना नहाते हैं
डीपी सिंह