डीपी सिंह की रचनाएं

मक्खी मच्छर वाइरस, बारिश में सुख पायँ
दरवाजे खिड़की सभी, फूले नहीं समायँ
फूले नहीं समायँ, इधर बउराये हम हैं
छत आँसू टपकाय, भीत की आँखें नम हैं
घर में चावल-दाल, और सब्जी थी रक्खी
कच्चे को घुन खायँ, पके को खायें मक्खी

डीपी सिंह

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