डीपी सिंह की रचनाएं

धूलि जिस पद की पाषाण को तार दे
जग को निर्वाण पद-नख की जल-धार दे
पी के जो पाद-पीयूष केवट तरे
क्यों न “देवेंद्र”, उस पद पे सब वार दे

डीपी सिंह

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