भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : एक राज की बात बताता हूं
।।एक राज की बात बतलाता हूं।। किशन सनमुखदास भावनानी एक राज की बात बतलाता हूं
भावनानी के भाव : माय पार्लियामेंट माय प्राइड
।।माय पार्लियामेंट माय प्राइड।। किशन सनमुख़दास भावनानी नए आधुनिक संसद भवन का उद्घाटन उत्साहवर्धक सफल
साक्षात्कारों की पुस्तक ‘अर्थ तलाशते शब्द’ का लोकार्पण समारोह सम्पन्न
उज्जैन। श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा सन् 1927 से प्रकाशित हिंदी मासिक पत्रिका ‘वीणा’
अशोक वर्मा “हमदर्द” की कहानी : रिक्शावाला
अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। आज मंगरू चाचा रिक्शा चलाकर थक गए थे उन्हें चक्कर आ
डीपी सिंह की रचनाएं
प्रश्न है हर तरफ, जो निराधार है वंश का क्यों पिता से जुड़ा तार है,
भावनानी के भाव : नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर
।।नया संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर।। किशन सनमुखदास भावनानी ग्रामसभा, विधानसभा, सांसद लोकतंत्र के मंदिर
बांग्ला साहित्य में दलित चेतना विषयक विमर्श का आयोजन
कोलकाता। साहित्य अकादेमी के क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता द्वारा अपनी विशिष्ट कार्यक्रम शृंखला “दलित चेतना” के
महात्मा गांधी का हिंदी भाषा और नागरी लिपि के प्रसार में योगदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने विचार व्यक्त किया
दुनिया की सार्वदेशीय और विश्व की प्रथम लिपि है देवनागरी – प्रो. शर्मा उज्जैन। राष्ट्रीय
डीपी सिंह की रचनाएं
गन्दे होते हैं बहुत, बवासीर – से रोग असल दर्द होता कहीं, कहीं बताते लोग
भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव : अभी भी बिंदास गुलाबी लेता हूं
।।अभी भी बिंदास गुलाबी लेता हूं।। किशन सनमुखदास भावनानी जांबाजी और जज्बा दिखाकर बहुत दिलेरी