दुर्गेश बाजपेयी की कविता : निशा के आते ही

निशा के आते ही दिवाकर के छिपते संग ही, वो दबे पाँव आ जाती है,

गोपाल नेवार की कविता : “मेरी माँ”

मेरी माँ ********* माँ मेरी माँ मैं तेरी लाड़ली हूँ माँ बेशक मैं तेरी छोटी

“लोटन बा” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

आज अचानक अपने सर्व आदरणीय ग्रामीण पुजारी स्वर्गीय राम लोटन कैलाश नारायण पाण्डेय जी का

गोपाल नेवार की कविता : “दो बूंद विष”

“दो बूंद विष” **** मृत्यु से डरता नहीं है वह न ही डरता है किसी

ऑनलाइन की सुविधाओं से 26वां हिंदी मेला जुड़ा देश-विदेश के युवाओं से

कोलकाता 17 दिसंबर : सप्ताह व्यापी 26वां हिंदी मेला 26 दिसंबर से 1 जनवरी 2021

गोपाल नेवार की कविता : “नारी”

“नारी” ***** नारी की जीवन गाथा एक अज़ीब सी है, गुपचुप मौन रहकर बहुत कुछ

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : ”जुगनू भी अंधेरा दूर करता है”

”जुगनू भी अंधेरा दूर करता है” वक्त ही नहीं बदलता है आदमी भी तो बदलता

अर्चना पांडेय की कविता : “दरबान जी”

“दरबान जी” दरबान जी, दरबान जी, दरबान जी, जहाँ देखो, दिखेंगे ये दरबान जी। बड़े साहब,

…सो पाछे पछताय (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

“पेड़ जब उखड़ते हैं, तब वे अपनी जड़ों से भी छूट जाते हैं” – ‘दिनकर’

कवि. हीरा लाल मिश्र की कविता : “स्वीकृति”

“स्वीकृति” ********* पश्चिमीकरण की अंधी टाँगे सुरसा के मुख की भाँति विस्तार की सीमा लाँघ