गोपाल नेवार की कविता : “कोरोना का पाठ”

कोरोना का पाठ

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अदृश्य वायरस कोरोना से
परेशान है दुनिया सारा,
दर्ज हो चुका इतिहास में
कोरोना का करतूत सारा।

किसीने ठीक ही कहा है
कुछ पाने के लिए
कुछ खोना पड़ता है,
यह कोरोना उसीका
जीत-जागता मिसाल है।

कोरोना ने हमसे –
बहुत कुछ छीना है
कोरोना ने हमें
घर पर बंधक बनाया है
कोरोना ने हमें
अपनों से दूर बनाया है,
कोरोना ने हमारे
अपनों को मार ड़ाला है
कोरोना न हमें
बेवजह बहुत सताया है ।

परन्तु –
कोरोना ने हमें
बहुत कुछ दिया है
कोरोना ने हमें
एक-दूसरों का दर्द समझाया है
कोरोना ने हमें
भाईचारें का सबक सिखाया है
कोरोना ने हमें
जागरुकता का पाठ पढ़ाया है,
कोरोना ने हमारे
वातावरण साफ बनाया है
कोरोना ने हमें
तकलीफों में जीना सिखाया है।

बस –
हे ! कोरोना
विनती है हमारी तुमसे
हे ! कोरोना
अब चले भी जाओ इस दुनिया से
हे ! कोरोना
आना न कभी तुम लौटकर,
हे ! कोरोना
देते है वचन तुम्हें हम
हे ! कोरोना
तुम्हारे पढ़ाये पाठ पर चलेंगे हम
हे ! कोरोना
मिलजुल कर रहेंगे अब सदा हम।

गोपाल नेवार,  गणेश  सलुवा

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