डीपी सिंह की कविता : “भाई चारा”

“भाई-चारा” ———— आज कलम तेरी जय-जय हो, तू ऐसा कुछ ख़ास लिखे भारत की आवाज

डीपी सिंह की कुण्डलिया

वैक्सीन के जन्म पर, छिड़ी सियासी जंग। और बधाई के लिए, छक्के नाचें नंग।। छक्के

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डॉ निर्मला राजपूत की कविता : हां मैं हिंदुस्तानी नारी हूं

हां मैं हिंदुस्तानी नारी हूं हां मैं हिंदुस्तानी नारी हूं समाज के अत्याचार की मारी

गोपाल नेवार की कविता : “कोरोना का पाठ”

कोरोना का पाठ ************** अदृश्य वायरस कोरोना से परेशान है दुनिया सारा, दर्ज हो चुका

फर्ज (लघुकथा) : हीरा लाल मिश्र

महफूज का पिता अफजल ताँगा चलाता था। घोड़े को इतना सजा-सँवार कर रखता कि लोग

प्रमोद तिवारी की कविता : और गलत तू भी नहीं

और गलत तू भी नहीं जानते तुम भी थे, समझता मैं भी था, फिर क्यों

अर्जुन तितौरिया की कविता : दहेज

*दहेज* दहेज के लिए लड़को की, लगती यहां मंडी है। निशदिन यहां नववधू को, जलाया

रामा श्रीनिवास ‘राज’ की कविता : “गरिमा”

“गरिमा” जी हाँ ! प्यारे मित्रों, मैं भी नाटक करता हूँ कलाकारी पेशा है मेरा

डीपी सिंह की कुण्डलिया

चर्बी से वाराह की, कोई नहीं मलाल। चर्बी चढ़ी दिमाग़ पर, वही बनी है काल।।

भारतेंदु हरिश्चंद्र की पुण्यतिथि पर जाने सबकुछ

युग प्रवर्तक बाबू भारतेंदु हरिश्चन्द्र का जन्म 9 सितम्बर सन् 1850 को काशी के प्रसिद्ध