श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : भूख और चुनाव
“अरे सुन रे! क्या नाम है रे तेरा?” – इस बार की ‘ग्राम पंचायत’ की
डीपी सिंह की कुण्डलिया
*कुण्डलिया* जीवन से धोना नहीं, अगर चाहते हाथ। बार-बार साबुन लगा, धोते रहना हाथ।। धोते
डीपी सिंह की कुण्डलिया
*कुण्डलिया* घण्टा फ्रिज में देखकर, अम्माँ थी हैरान पीछे से प्रकटे तभी, पप्पू जी श्रीमान
हिन्दू नववर्ष पर ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ पश्चिम बंगाल का भव्य कवि सम्मेलन
असली नया वर्ष अपना यही है/पश्चिम का करना नकल क्या सही है रीमा पांडेय, कोलकाता
डीपी सिंह की कुण्डलिया
*कुण्डलिया* राजनीति के ताल में, अगर ठोंकनी ताल। मगरमच्छ की ताल से, शीघ्र मिलाओ ताल।।
मनहरण घनाक्षरी छन्द : डीपी सिंह
मनहरण घनाक्षरी छन्द गंगा-जमुना भी देखी, और भाई-चारा देखा सदियों से भाइयों का चारा बनते
मनहरण घनाक्षरी छन्द : डीपी सिंह
*मनहरण घनाक्षरी छन्द* =============== अभी अभी सीमाओं से, लाए बतलाए गए कुछ हैं शहीद कुछ
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पारो शैवलिनी की गजल : तुम्हें जब से
तुम्हें जब से छाया है नशा मुझपे देखा है तुम्हें जबसे, काबू में नहीं दिल
फागुन की जीत से रंगे गोपाल चन्द्र मुखर्जी और डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
-होली पर २८ वीं लेखन स्पर्धा:डॉ. पूनम अरोरा व बोधन राम निषाद राज ने मुकाबले
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : कोरोना वायरस
कोरोना वायरस ************* क्या-क्या गज़ब का खेल दिखाया है तूने वो कोरोना वायरस, वर्षों से