श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : पानी रे! तेरा रंग कैसा?

पानी रे! तेरा रंग कैसा? पंडित कैलाशनंदन जी कुछ दिन पूर्व ही अपनी सेवा से

डीपी सिंह की रचनाएं

*मुक्तक* इंसान पहले सा कहाँ अब काफ़िलों में है तौबा! वबा का ख़ौफ़ कितना अब

श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : गंगा ! तेरी गोद में

गंगा ! तेरी गोद में सुबह का छः बजा होगा। चौसा पुलिस थाना में फोन

गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा की कविताएं

मजबूरी ********* थक चुका है मांगकर भीख बहाकर अपनी आँसू को, मजबूर हो गए भूख

श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : लालटेन

*लालटेन* द्विमंजिला आलिशान मकान के भूतल का बड़ा-सा हॉल। इस समय उसकी दीवारें अस्तगामी सूर्य

श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : बीरबल बा’ का ढोल

विगत संस्मरण पर आधारित और व्यक्ति विशेष को केंद्र कर रचित मेरी नई कहानी “बीरबल

डीपी सिंह रचनाएं

*माँ* माँ के छूते ही हर दर्द छू हो गया पाँव उसके छुए तो वजू

श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : अतिथि देवो भवः!

अभी प्लेटफार्म से रेलगाड़ी सरकने ही लगी थी कि सफेद गोराई लिये सामान्य कद का

डीपी सिंह की रचनाएं

*मुक्तक* भूल जो भी हुई, प्रभु! क्षमा कीजिए कष्ट में है, मनुज को अभय दीजिए

डीपी सिंह की कुण्डलिया

कुण्डलिया कालाबाजारी अगर, करनी होती बन्द। देते सूली पर चढ़ा, भ्रष्टाचारी चन्द।। भ्रष्टाचारी चन्द, किन्तु