डीपी सिंह की रचनाएं
हमारे धैर्य को ही वो हमारा डर समझ बैठे ज़रा दो बाल क्या निकले उसे
सरिता अंजनी सरस की कविता पेंडुलम के कंधे पर बैठा समय
पेंडुलम के कंधे पर बैठा समय पेंडुलम के कंधे पर इत्मीनान से बैठा वक्त झूलता
डीपी सिंह की रचनाएं
कॅरोना की सीख रूप, दौलत और शोहरत का नशा मत कीजिए त्रोण में शर, म्यान
भक्ति साहित्य पर भी मंथन जरूरी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के व्याख्यानमाला में बोले प्रो. कमलानन्द झा
अंकित तिवारी, प्रयाग : हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के प्रथम सत्र में
डीपी सिंह की रचनाएं
नींद आँखों से कहीं पर खो गई है हम जगे हैं, ख़ुद निगोड़ी सो गई
दुर्गेश बाजपेई की कविता प्रणय अशेष
प्रणय अशेष कभी बाग की हरियाली में कभी श्वेत अंबर डाली में छिपा हुआ वो
सोनम यादव की कविता
कहाँ आ गये चलते चलते और कहाँ जाना भूल गए धरती की खुशबू चिड़ियों का
सरिता अंजनी सरस की कविता
मैं किसी अघोषित कविता की घोषित पात्र हूं मेरी उद्घोषणा के लिए ईश्वर ने एक
डॉ. तेजस्विनी दीपक पाटील की कविता
वक्त के साथ तुम, निर्लिप्त से आगे निकल जाते हो। और मैं, अतीत की सिलवटों