रीमा पांडेय की कविता : करुण पुकार
करुण पुकार ********** हे कृष्ण! चले आओ, हे कृष्ण! चले आओ आँखें मेरी रोती है,
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आभासी बहुभाषी कवि सम्मेलन सम्पन्न
निप्र, उज्जैन : प्रतिष्ठित राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में बहुभाषी आभासी कवि सम्मेलन का
डीपी सिंह की रचनाएं : जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण विश्व रूप अखण्ड मुख में, माँ जसोमति अस लखै। तेज पुञ्ज प्रचण्ड
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : “ऐसा भी हो सकता है?”
एक सफाई कर्मचारी माँ की सेवानिवृति समारोह में उसे तीन बड़े अधिकारी बेटे मुख्य इंजीनियर,
विश्व लिपि के संदर्भ में देवनागरी एक वैज्ञानिक लिपि : डाॅ.शहाबुद्दीन शेख
निप्र, उज्जैन : आज वैश्विक स्तर पर लगभग चार सौ लिपियाँ प्रचलित है, परंतु इन
मन को तरोताजा रखें, तनाव से मुक्ति मिलेगी : डॉ ज्योत्स्ना सिंह
निप्र, उज्जैन : स्वस्थ जीवन जीने के लिए मन को तरोताजा रखने से तनाव से
ममता सिंह भोक्ता की कविता : “माथे की बिंदी”
माथे की बिंदी बरामदे में टांगे, पुराना आईना, और वही कोने में, तुम्हारी साड़ियां, शादी
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के श्रेष्ठ शिक्षक सम्मानों की चयनित सूची जारी हुई
निप्र, उज्जैन: राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा शिक्षक सम्मान के 11वें वर्ष में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डीपी सिंह की रचनाएं
कुण्डलिया भारी दुविधा में फँसे, सोच सोच श्रीमान। मधुशाला के वास्तु का, कौन करे निर्मान।।
प्रथम विजेता बने आदर्श पाण्डेय व राजबाला शर्मा
इंदौर (मप्र) : हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार की तरफ से मातृभाषा हिंदी के सम्मान की