इम्युनिटी बढ़ाने से निराशा भगाने तक ( मानसिक दिवालियापन )

इंतज़ार करें आपको ये सब पाने का तरीका भी बताना हैं वो भी बिना कोई

प्रशासनिक अधिकारियों से पंगा क्यों ??

भारत जैसे विकासशील और विशाल लोकतांत्रिक देश में विधायिका बनाम कार्यपालिका का टकराव किसी भी

घटनाओं को निष्पक्ष नजरिये से देखेने की जरूरत

मैं हर घटना को भीड़ का हिस्सा बनकर भीड़ की दृष्टि से नहीं देखता। इसके

मौसमी चेतावनी, रंगों की जुबानी

मनीषा झा, खड़गपुरः- हम भारतवासी अभी भारत के पश्चिमी तट (महाराष्ट्र, गुजरात) पर आये ताउते

शीश झुकाता हूँ सरल हो जाता हूँ

मस्तिष्क सबमें उठक-बैठक करता है। करतब दिखाता रहता है। ज्ञानी होने का आकर्षण सबको बाँधता

बुलंदी से नीचे गिरने का भय ( डरावना ख़्वाब )

बात इज्ज़त के सवाल की होती है तब ऑनर किलिंग के नाम पर घर परिवार

स्वतंत्र भारत में “लाइन” से छुटकारा कब ??

अपने देश में कुछ बातें अटल हैं , जिसमे लाइन में खड़े होना मुख्य है

बाजार की समय सारिणी में बदलाव जरूरी 

कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर लॉक डाउन से किसी को एतराज नहीं हो सकता

कोरोना महामारी में कुछ जिम्मेदारी आम नागरिकों की भी बनती है

कोरोना के इस संक्रमण काल में सिर्फ सरकार के भरोसे बैठे न रह कर बहुत

संक्रमित व्यक्ति या परिवार के साथ सामाजिक दूरी नहीं बल्कि शारीरिक दूरी बनाये

मौत का पर्याय बन चुके कोविड-19 महामारी से देश भर में जिस तरह से मौतों