कुछ कहना है खामोश हैं सभी
यूं तो महफ़िल सजी है कितनी रौनक नज़र आती है मगर हर कोई मिलता है
बन्द हो राज्य सरकारों की नौटंकी
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध। जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके
सोने-चांदी के कलम नहीं लिखेंगे आंसू की दास्तां ( गरीबी की पीड़ा )
जो लिखना चाहता हूं उस असहनीय दर्द की व्यथा कथा को लिखने को अश्कों का
आयुर्वेद की हक़ीक़त और धोखे-लूट का बाज़ार
मुझे ऐसे लोग गिद्ध से भी बुरे लगते हैं जो आपदा की दशा में भी
आस की टकटकी लगाये बैठे प्रवासी बिहारी मजदूर
आज पूरे देश के विभिन्न राज्यों में जितने भी प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं उनमें
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भोर भई, अब तो जागो बिहारी भाइयों जागो
आज भी हम बिहारी सिर्फ सरकार और सिस्टम को ही गाली देते आ रहे हैं
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शोहरत का सर्वोच्च कीर्तिमान ( हास-परिहास ) : डॉ. लोक सेतिया
हर वर्ष वो इक घोषित किया करते हैं सब से अधिक नाम शोहरत किस की
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महामारी के बाद बिहार का नवनिर्माण जरूरी
आज इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर
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आने वाले समय में बिहार के सामने मौका ही मौका
कोरोनावायरस जैसे वैश्विक महामारी के चलते पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मचना स्वाभाविक ही
छाज तो बोले छलनी क्या बोले जिस में हज़ारों छेद
झूठों के सिरमौर हम हैं हमारा सोशल मीडिया अपने देश की बात कम और देशों