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बीआरएस न एनडीए के साथ है और न ही इंडिया एलायंस के साथ : केसीआर

हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने कहा कि उनकी पार्टी न तो एनडीए के साथ है और न ही इंडिया एलायंस के साथ। उन्होंने महाराष्ट्र के एक दिवसीय दौरे के बाद संवाददाताओं से कहा, “हम उनमें से किसी के भी साथ नहीं हैं। हम अकेले नहीं हैं, हमारे कई दोस्त हैं।”  उन्होंने कहा, “लोगों ने एनडीए और इंडिया को देखा है। नया क्या है? उन्होंने 50 साल तक शासन किया लेकिन कुछ नहीं बदला। बदलाव की जरूरत है।” उन्‍होंने सुझाव दिया कि मीडियाकर्मी भी देश में बदलाव लाने में योगदान दें।

केसीआर ने कहा कि बीआरएस महाराष्ट्र में विभिन्न स्तरों पर समितियों का गठन करेगा और उन्होंने महाराष्ट्र में काम शुरू कर दिया है।उन्होंने कहा कि राज्य में बीआरएस के 14.10 लाख पदाधिकारी हैं।उन्होंने कहा कि पार्टी ने महाराष्ट्र में 50 फीसदी काम पूरा कर लिया है। अगले 15 से 20 दिनों में हर गांव में काम पूरा हो जाएगा।केसीआर ने कहा कि महाराष्ट्र के पास सभी संसाधन हैं। धन-संपदा की कोई कमी नहीं है और रोजगार के भरपूर अवसर हैं।

उन्होंने कहा कि औरंगाबाद जैसा शहर पानी की कमी से जूझ रहा है।उन्होंने सवाल किया कि दलित समाज कब तक परेशान रहेगा? महाराष्ट्र में दलितों को उचित स्थान नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देश ने बराक ओबामा को राष्ट्रपति बनाने के लिए भेदभाव को किनारे रख दिया, ऐसा करके अमेरिका ने अपने पाप धो दिए।

विशेष विमान से कोल्हापुर पहुंचने के बाद उन्होंने महालक्ष्मी माता अंबाबाई मंदिर में दर्शन किए और पूजा-अर्चना की।केसीआर ने बाद में वाटेगांव का दौरा किया और प्रख्यात कवि और लेखक अन्नाभाऊ साठे की 103वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में भाग लिया।उन्होंने मांग की कि केंद्र को साठे को भारत रत्‍न से सम्मानित किया जाना चाहिए।

केसीआर ने अन्नाभाऊ साठे को महान कवि बताते हुए उनके साहित्य का राष्ट्रीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद करने का आह्वान किया ।यह देखते हुए कि अन्नाभाऊ साठे के काम सार्वभौमिक हैं, केसीआर ने कहा कि रूस ने साहित्य के लिए साठे की सेवाओं को पहले ही मान्यता दे दी है, लेकिन भारत ने मान्यता नहीं दी है।केसीआर ने कहा कि केंद्र की लगातार सरकारें अन्नाभाऊ साठे का सम्मान करने में विफल रहीं, जो एक दलित परिवार में पैदा हुए थे और मातंग समुदाय के एक लोकप्रिय व्यक्ति थे।

साठे का लेखन, साहित्य और दलितों के लिए उनका संघर्ष सराहनीय है। केसीआर ने कहा कि एक कम्युनिस्ट और अंबेडकरवादी के रूप में साठे ने जीवन भर समतावादी समाज की स्थापना के लिए लगातार काम किया।अन्नाभाऊ साठे के पोते सचिनभाऊ साठे और सचिन की मां सावित्रीभाई साठे उपस्थित थे।केसीआर ने कोल्हापुर में छत्रपति साहू महाराज स्मारक का भी दौरा किया।

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