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नयी दिल्ली। लोन देने की प्रक्रिया के बहाने पीडि़तों के फोन में यूआरएल लिंक भेजकर मोबाइल हैक कर उनकी प्राइवेट जानकारी चुराकर न्यूड फोटो बनाकर फिर उन्हें ब्लैकमेल करने वाले गैंग का पर्दाफाश कर दिल्ली क्राइम ब्रांच ने पांच आरोपियों को अलग-अलग इलाकों से गिरफ्तार किया। जिनकी पहचान सोनू सिंह, विकास कुमार, हरप्रीत सिंह, पंकज कुमार, जितेंद्र कुमार के तौर पर हुई है। हालांकि ये गैंग अब तक हजारों लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुका है जबकि ठगी की रकम को क्रिप्टो करेंसी में बदलकर चीनी नागरिकों को हांगकांग, दुबई और चीन भेज रहे थे।
डीसीपी रोहिण मीणा के मुताबिक,पश्चिम बंगाल के कोलकाता निवासी अनुराग हलधर ने 15 मार्च को शिकायत दी थी। एक चाइनीज अवैध फाइनैंस कंपनी की तरफ से उन्हें नैशनल और इंटरनैशनल वॉट्सऐप नंबरों से उन्हें, परिजनों, रिश्तेदारों और जानकरों को धमकी भरे कॉल आ रहे थे। कॉलरों का दावा था कि उन्होंने लोन लिया है, जिसे जल्दी चुकाओ। पीडि़त का कहना था कि उसने कोई लोन नहीं लिया है।
क्राइम ब्रांच ने 22 मार्च को मुकदमा दर्ज कर लिया। क्राइम ब्रांच की टीम ने पीडि़तों को कॉल करने वाले फोनों की सीडीआर खंगाली गई तो ये नंबर फर्जीवाड़ा करके लिए गए थे। पश्चिम बंगाल और असम में यूज कर रहे फोन के मालिकों ने बताया कि उनके नंबर पर वॉट्सऐप एक्टिव होने की जानकारी उन्हें नहीं है। पुलिस ने आईपी एड्रेस, पेमेंट होने के रास्ते और सीडीआर खंगाले और आरोपियों को धर दबोचा।
छानबीन में पता चला है कि ये गैंग जरूरतमंद लोगों को अपने जाल में फांसने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर अपने एप बनाकर रखते थे। इन एप का अलग-अलग तरीकों से प्रचार किया जाता था। एप के जरिये चंद ही मिनटों में बेहद कम ब्याज दरों पर उनके खाते में लोन की रकम आ जाएगी। 60 दिनों के भीतर रकम वापस करने पर कोई ब्याज भी नहीं लिया जाएगा। गूगल प्ले स्टोर पर लोन देने के लिए ये गैंग एनबीएफसी के फर्जी एग्रीमेंट लेटर भी डाल देते थे। ऐसे में पीडि़त इनके जाल में फंसकर लोन ले लेते थे।
एप डाउनलोड करने के समय कई जानकारियां सांझा करने के लिए अनुमति मांगी जाती थी, इसमें आधार, पैन, एसएमएस, कांटेक्ट लिस्ट, फोटो गैलेरी और फोन और गूगल अकाउंट पर मौजूद बाकी तमाम जानकारियां साझा करा ली जाती थीं। इस डाटा को भारत में बैठे जालसाज चीन भेज दिया करते थे। वहां पीडि़त के फोटो या वीडियो से छेड़छाड़ कर उसे अश्लील बना दिया जाता था। इसके आधार पर ब्लैकमेल कर धंधा शुरू होता था। वीडियो या फोटो को कांटेक्ट लिस्ट में मौजूद स्वजन, रिश्तेदारों और दोस्तों को भेजने की धमकी दी जाती थी। इससे घबराकर पीडि़त लोन को भूलकर इनकी वसूली की रकम इनके खातों में भेज देते थे।