कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा के दौरान जबर्दस्त हिंदू कार्ड खेलने के बाद राज्य में बुरी तरह पराजित होने वाली भाजपा अब राज्य के मुस्लिम मतदाताओं के भरोसे आने वाले लोकसभा चुनाव में और अधिक सीटें जीतने के लिए रणनीति बना रही है। पार्टी ने अब मुस्लिम बहुलता वाले राज्य की 13 लोकसभा सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी इन इलाकों में एक विशेष मुहिम चलाने की योजना पर काम कर रही है। इस दौरान पार्टी के स्वयंसेवक अल्पसंख्यक मतदाताओं के घर-घर जाकर उनकी समस्याएं और शिकायतें सुनने का काम करेंगे और उसे पार्टी स्तर पर हल करेंगे।
इस कवायद में उन लोगों पर खास जोर दिया जाएगा, जो पिछड़े आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं। यानी भाजपा अब बंगाल में भी पसमांदा मुस्लिम कार्ड खेलने के लिए कमर कस चुकी है। पार्टी जिन 13 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम वोट बैंकों में सेंध लगाने की कोशिश करेगी, उसे बहरामपुर, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद, रायगंज, मालदा (दक्षिण), मालदा (उत्तर), बशीरहाट, जादवपुर, बीरभूम, कृष्णनगर, डायमंड हार्बर, जयनगर और मथुरापुर वगैरह शामिल है।
इन निर्वाचन क्षेत्रों में मुर्शिदाबाद के बहरामपुर में सबसे ज्यादा 64 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि मथुरापुर में सबसे कम 32 फीसदी के आसपास मुस्ल्मि मतदाताओं की आबादी रहती है। इन सीटों के पुराने इतिहास को खंगालने से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में बहरामपुर के मतदाताओं ने पांच बार कांग्रेस पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी को चुनाव में जीत दिलाया है।
दूसरी तरफ माकपा के पुराने गढ़ मथुरापुर में 2019 में तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य चौधरी मोहन जटुआ को फिर से चुना गया था। हालांकि, अगर हम भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन की बात करें तो, पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में भाजपा ने 18 पर जीत हासिल की थी।