कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार सिर से पैर तक भ्रष्टाचार में डूब गई है। सोमवार को विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण से शुरू होने जा रहा है। 13 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में भी राज्य सरकार तीन-चार बिल पारित कराने की तैयारी में है। इस सत्र में आम तौर पर विभिन्न विभागों के बजट अनुदान प्रस्तावों पर सदन में चर्चा और इसे पारित कराने की कार्यवाही होगी। इस सत्र के पहले दिन सोमवार को ही विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी के खिलाफ बीजेपी विधायक दल की ओर से अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु सरकरअधिकारी ने 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान ही विधानसभा सचिवालय में स्पीकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस दिया था। अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा की चर्चा सूत्री में भी शामिल है।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि 16 सूत्री आरोप के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाएगा। विधानसभा के बुलेटिन में जानकारी दी गई है कि प्रस्ताव छह मार्च को होने वाले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। उस समय भाजपा विधायकों के विचार लिए जाएंगे। राय लेने के समय विधानसभा कक्ष में कम से कम 30 भाजपा विधायक मौजूद होने चाहिए। अगर वे सहमत होंगे, तभी प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। लेकिन इसके काउंटर प्रपोजल पर तृणमूल काउंसिल स्पीकर पर भरोसा जताएगी।
विधानसभा स्पीकर पर अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी का कहना है कि राज्य का पूरा शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। इसीलिए तृणमूल सरकार चर्चा से भागना चाहती है। उल्लेखनीय है कि इस बार उद्योग, पंचायत, कृषि, लोक निर्माण और शहरी विभाग जैसे छह विभागों के बजट अनुदान प्रस्तावों पर ही सदन में चर्चा होने की उम्मीद है। हालांकि, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय का कहना है कि उनकी सरकार विधानसभा से बचकर कोई काम नहीं करती, बल्कि वाममोर्चा शासन की तुलना में ज्यादा सवालों के जवाब तृणमूल के मंत्री दे रहे हैं।
विधानसभा सूत्रों ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी पर 16 आरोप लगाए गए हैं, जिसमें पक्षपातपूर्व रवैया अपनाने से लेकर दलबदल विरोधी कानून पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करना आदि हैं। इधर ममता सरकार इस बार के सत्र में शिक्षा समेत 33 विभागों के बजट पर बहस से बचना चाहती है। संसदीय भाषा में कहें तो सदन में बिना चर्चा के सरकार करीब 33 विभागों के बजट अनुदान मांगों को पारित कराने की तैयारी में है। इनमें शिक्षा व गृह जैसे अहम विभाग भी शामिल हैं। इसलिए उनके खिलाफ 16 सूत्री आरोप के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है।