राजीव कुमार झा, बड़हिया। बिहार में बड़हिया का बाला त्रिपुर सुन्दरी मंदिर काफी प्रसिद्ध है और यह जगदंबा स्थान के नाम से भी श्रद्धालुओं में जाना जाता है। श्रीधर ओझा नामक ब्राह्मण को इसका संस्थापक कहा जाता है और यहां के लोगों की असीम आस्था इस मंदिर के प्रति है। इस मंदिर में नवरात्र और अन्य त्योहारों के मौके पर काफी लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं, लेकिन रात्रि काल में पुरुषों का इस मंदिर में प्रवेश निषिद्ध है।
यहां बकरे की बलि देने की प्रथा खत्म हो गई थी लेकिन कुछ लोगों ने जिद में आकर इसे फिर से शुरू किया है और इसकी रोकथाम की चेष्टा वैष्णव मतावलंबी कर रहे हैं। बड़हिया वैष्णव मतानुयायियों का गांव है और भूमिहीन लोगों को सीधा सरल स्वभाव का माना जाता है। रामायण पाठ में इनकी असीम आस्था है और खेतीबाड़ी के अलावा पढ़ाई-लिखाई में भी बाला त्रिपुर सुन्दरी की महिमा से इन लोगों की खूब उन्नति हुई है।
अब ट्रस्ट बनाकर इन लोगों ने बाला त्रिपुर सुन्दरी मंदिर को संगमरमर से सजाया है। यहां मुंडन और शादी विवाह भी होता है। मंदिर का पट प्रात: वेला में खुलता है और रात में बंद होता है। अब भक्त श्रीधर सेवाश्रम के नाम से एक अत्याधुनिक धर्मशाला भी बनवाया गया है।