बंगाल पंचायत चुनाव || सी-वोटर एग्जिट पोल से संकेत, कई जिलों में तृणमूल को कड़ी टक्‍कर

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के चुनावों के लिए एबीपी-सीवोटर एग्जिट पोल में कुल मिलाकर तृणमूल कांग्रेस का वर्चस्व कायम है, हालांकि सत्‍तारूढ़ दल को कई जिलों में कड़ी टक्‍कर के संकेत मिले हैं। एग्जिट पोल में संकेत मिले हैं कि कूच बिहार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली में सबसे ऊंचे स्तर यानी जिला परिषद तृणमूल कांग्रेस के हाथ से छिन सकता है और भाजपा वहां नियंत्रण कर सकती है। यहां 18 से 22 जिला परिषद सीटों पर भाजपा जीत हासिल कर सकती है।

वहीं तृणमूल कांग्रेस 11 से 17 सीटों पर सिमट सकती है। जिले में वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन शून्य से एक सीट के बीच सिमट सकता है। इसी तरह एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा उत्तरी बंगाल के एक अन्य जिले अलीपुरद्वार में जिला परिषद पर नियंत्रण हासिल कर सकती है। एग्जिट पोल के मुताबिक, अलीपुरद्वार में इस बार भाजपा को 10 से 14 जिला परिषद सीटों पर जीत मिल सकती है। वहीं तृणमूल कांग्रेस चार से आठ सीटों पर सिमट सकती है।

जिले में वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन शून्य से एक सीट के बीच सिमट सकता है। मुर्शिदाबाद, जहां चुनाव संबंधी हिंसा में सबसे अधिक मौतें हुईं, एक और जिला है जहां कुल मिलाकर वर्चस्व बनाए रखने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस कड़ी प्रतिस्पर्धा की ओर बढ़ रही है। एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक इस जिले में सत्ताधारी पार्टी को भाजपा से ज्यादा चुनौती वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन से मिलेगी। मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस 39 से 49 जिला परिषद सीटें जीत सकती है।

वहीं वाम मोर्चा-कांग्रेस को 26 और 36 के बीच सीटें मिल सकती है, जबकि भाजपा शून्य से चार के बीच रह सकती है। इसी तरह, पूर्वी मिदनापुर जिले में, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का गृह जिला है, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को भाजपा से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। एग्जिट पोल के मुताबिक, पूर्वी मिदनापुर में जहां तृणमूल कांग्रेस 35 से 45 सीटों के बीच सिमट सकती है, वहीं भाजपा 26 से 32 सीटों पर कब्ज़ा जमा सकती है, जबकि वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन शून्य से दो सीटों के बीच सिमट सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि पंचायत चुनावों में आम तौर पर राज्य में सत्तारूढ़ दल कुल मिलाकर हावी रहता है। हालांकि, पंचायत चुनाव मतदाताओं के बारे में कुछ संकेत देते हैं – आगामी बड़ी लड़ाइयों के लिए मानसिकता, चाहे वह लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव।

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