समाज के लिए निस्वार्थ भाव से योगदान देने वाले हीरोज को दिल से सम्मान दिया गया
Kolkata: दुर्गा पूजा में हर साल बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाकर देवी दुर्गा को कई तरीके से सम्मानित किया जाता है। इस साल एशियन पेंट्स शरद सम्मान ने “कलर्स ऑफ पूजो” (पूजा के रंगों) के माध्यम से पश्चिम बंगाल के पांच हीरोज के सामाजिक हित में किए गए निस्वार्थ प्रयासों की पहचान की। इन पांच हीरोज ने बिना किसी स्वार्थ के अपना समय और ऊर्जा जरूरतमंदों की मदद करने और उनकी जिंदगी में खुशियों के रंग फैलाने में लगाई। एशियन पेंट्स ने इन पांच जांबाजों को एक स्पेशल “कलर्स ऑफ पूजो” समारोह में जादवपुर के साउथ सिटी मॉल में शुक्रवार को सम्मानित किया। इस अवसर पर शहर की कई प्रतिष्ठित हस्तियां उपस्थित थीं।
“कलर्स ऑफ पूजो” एक सार्थक पहल :
“एशियन पेंट्स शरद सम्मान पीपल ऑफ पूजो” का विस्तार है। 2016 से इस कार्यक्रम के माध्यम के समाज के हित में निस्वार्थ काम करने वाले उल्लेखनीय व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है और उनके निस्वार्थ और नायकत्व की असाधारण कहानियों की सराहना की जाती है। अपने प्रयत्नों और समाज को दिए गए योगदान के चलते ये हीरोज दुर्गा पूजो (दुर्गा पूजा) के जश्न को और भी सार्थक और खास बनाते हैं।
एशियन पेंट्स शरद सम्मान की पहल कलर्स ऑफ पूजो इस कार्यक्रम में जोड़ी गई गर्मजोशी भरी स्वागत योग्य पहल है। शेड–कार्ड डेडिकेशन एशियन पेंट्स के रंगों में चुने गए शेड्स का सिलेक्शन हैं, जिनका नाम इन हीरोज नाम पर रखा जाएगा। ये रंग इन सभी पांच चैंपियन और उनसे जुड़ी असाधारण और विशेष कहानियों का प्रतिनिधित्व करेंगे। ये पहल इन लोगों के समर्पण और समाज में मानवता के जज्बे को कायम रखने के कार्यों के प्रति सम्मान होगा।
“कलर्स ऑफ पूजो एशियन पेंट्स” शरद सम्मान से यह दिखाया गया कि हर कहानी महत्वपूर्ण है। इन लोगों की कहानियों में बेशुमार रंग है। इस समारोह में पांच हीरोज-बापी दा, झुमकी मुखर्जी, डॉ., अनामित्रा बारिक, श्राबस्ती घोष और नीलांजन मिश्रा शामिल हैं, जिन्हें बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री की प्रतिभाशाली हस्तियों, मीर अफसर अली, रूपम इस्लाम, पाओली दाम, ईशा साहा, प्रियंका सरकार और रूपम मिश्रा के हाथों यह सम्मान दिया गया।
इनमें से हर शख्स की कहानी किसी भी व्यक्ति से गहरा संबंध जोड़ती है। नीचे उन हीरोज के बारे में विस्तृत विवरण दिया जा रहा है, जिन्होंने अपने प्रयासों और समाज के प्रति अपने योगदान से हरेक के दिल में अपने लिए जगह बनाई।
• बापी दा को “ग्रीन टैक्सी मैन ऑफ कोलकाता” के नाम से जाना जाता है। उनकी टैक्सी की छत पर गार्डन बना है, जो उन्होंने खुद बनाया है। कोरोना काल में उन्होंने उन मरीजों की काफी मदद की, जिन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस और दूसरे साधन नहीं मिल रहे थे। एशियन पेंट्स के कलर लाइम ग्रोव का नाम उनके सम्मान में “बापी ग्रीन” रखा गया है।
• एशियन पेंट्स के शेड वाइल्ड पिंक का नाम “रोजी झुमकी” रखा गया है। ये नाम झुमकी बनर्जी के नाम पर रखा गया है, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कोरोना काल मे रेड लाइट एरिया में रह रहे बच्चों की शिक्षा और कल्याण की दिशा में योगदान दिया। महामारी के दौरान झुमकी ने यह सुनिश्चित किया कि राशन नियमित रूप से इन बच्चों के परिवार तक पहुंचे। इसके लिए उन्होंने स्कूल के कमरे को बेस किचन में बदल दिया। इसके अलावा उन्होंने बच्चों की काउंसलिंग भी की।
• डॉ. अनामित्रा बारिक हालांकि सात महीने के समय में कोरोना से 2 बार पीड़ित हुई। लेकिन हर बार वह मजबूत होकर निकलीं और उन्होंने कोरोना मरीजों की सेवा और भी समर्पित भाव से की। उनकी दढ़ता का सम्मान करने के लिए एशियन पेंट्स के कलर क्रिम्सन डेप्थ को “अनामित्रा रेड” का नाम दिया गया है।
• मिड डे वह शेड है, जिसे अब श्राबस्ती घोष के नाम पर “श्राबस्ती येलो” के नाम से जाना जाएगा। उन्होने कोरोना काल में बुजुर्ग और अपनी नौकरी गंवा चुके लोगों की मदद करने के लिए “कोविड केयर किचन सर्विसेज” शुरू की
• सुंदरबन के सामाजिक कार्यकर्ता, नीलांजन मिश्रा के नाम पर एशियन पेंट्स के शेड लाइट ब्लू का नाम “नीलांजल ब्लू” रखा गया है। कोरोना महामारी के दौरान लोगों की मदद के लिए किए गए कार्यों के कारण उनके प्रयासों की सराहना की गई। कोरोना महामारी के दौरान आए तेज चक्रवाती तूफान अम्फान ने सुंदरबन और वहां रहने वाले लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया। नीलांजन उस समय चक्रवात से प्रभावित द्वीप में 2000 परिवारों तक पहुंचे, जब इन पीड़ित परिवारों को मदद की काफी जरूरत थी। उन्होंने पीड़ित परिवारों को महीने का राशन उपलब्ध कराया। प्रभावित लोगों के लिए चिकित्सा शिवरों की व्यवस्था की। उन्होंने द्वीपों के आसपास 300 से ज्यादा तालाब, झील और झरनों की सफाई की, जिसका पानी अत्यधिक लवण के घुलने और पानी के फिल्टर न होने के कारण उपयोग करने लायक बिल्कुल नहीं रह गया था।
एशियन पेंट्स के विषय में :
वर्ष 1942 में अपनी स्थापना के बाद से, एशियन पेंट्स ने भारत की अग्रणी और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी पेंट कंपनी बनने के लिए लंबा सफर तय किया है। इसका टर्नओवर 217 अरब रुपए है। एशियन पेंट्स का कामकाज 15 देशों में फैला है और दुनियाभर में उसकी 26 पेंट मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं। कंपनी 60 से अधिक देशों में उपभोक्ताओं की सेवा कर रही है। एशियन पेंट्स हमेशा से पेंट इंडस्ट्री में लीडर की भूमिका में रहा है और उसने भारत में कलर आइडियाज, होम सॉल्यूशंस, कलर नेक्स्ट और किड्स वर्ल्ड जैसे नए कॉन्सेप्ट पेश किए हैं।
एशियन पेंट्स डेकोरेटिव और इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए पेंट्स की व्यापक श्रृंखला का उत्पादन करता है। कंपनी होम इम्प्रूवमेंट एवं डेकॉर सेगमेंट में भी दखल रखती है और बाथ एवं किचन उत्पादों की पेशकश करती है। कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो में लाइटिंग्स, फर्निशिंग्स और फर्नीचर भी पेश किए हैं। हेल्थ एवं हाइजीन सेगमेंट में, एशियन पेंट्स द्वारा सैनिटाइजर्स एवं सर्फेस डिस्इंफेक्टेंट्स की श्रृंखला पेश की गई है।