पंचायत चुनाव से पहले खुखलुंग मेला बस्ती के निवासियों ने उठायी नोनई नदी पर पुल की मांग

– स्वास्थ्य केंद्र या स्कूल के अभाव में पैदा हो रहे दिव्यांग बच्चे, पिछड़ रहा गांव

जलपाईगुड़ी। चुनाव आते जाते रहते हैं, चुनाव से पहले राजनैतिक हस्तियां भी इलाकों में आकर सारी सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन भी देते रहते हैं। लेकिन खुखलुंग मेला बस्ती के राभा जनजातिय लोगों को कोई सुविधा प्राप्त नहीं होती। इलाके की मुख्य मांगों में नोनई नदी पर पुल का निर्माण, स्वास्थ्य केंद्र व हाई स्कूल जैसी बुनियादी मांगे शामिल है। जो वहां की न्यूनतम जरूरत व उनका हक है। पुल ना होने के कारण जंगल के पास की बस्ती में रहने वालों को घुटने भर पानी में नदी पार कर स्कूल व स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना पड़ता है। गर्मियों में तो पानी कम रहता है लेकिन मानसून में जब लगातार बारिश होती रहती है तो लोगों को अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल या स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए जाना पड़ता हैं।

जलपाईगुड़ी जिले के धूपगुड़ी ब्लॉक के झार अलता 2 ग्राम पंचायत के उत्तरी खुट्टीमारी क्षेत्र में नोनई नदी के एक तट पर अधिकारी पाड़ा और दूसरे तट पर खुखलुंग मेला बस्ती है। खुट्टीमारी गोसाईहाट वन क्षेत्र के पास स्थित इस बस्ती में राभा जनजाति के लोग रहते हैं। सरकार के लाख दावों के बावजूद इस बस्ती में विकास  की रोशनी नहीं पहुंची है। यहां ना तो कोई जूनियर हाई स्कूल, हाई स्कूल ना ही कोई स्वास्थ्य केंद्र है। स्कूल और उप-स्वास्थ्य केंद्र दोनों अधिकारी पाड़ा में नदी के उस पार स्थित हैं। नदी पार करने के बाद यहां के छात्र व बीमार से लेकर गर्भवती महिलाओं तक को अधिकारी पाड़ा जाना पड़ता हैं।

इसके अलावा खुखलुंग बस्ती की गर्भवती महिलाएं टीकाकरण के लिए भी अधिकारी पाड़ा में जाती हैं। अधिकारी पाड़ा तक पहुँचने के लिए नदी पार करने में कम समय लगता है, राभा बस्ती के निवासियों को वैकल्पिक मार्ग के रूप में अधिकारी पाड़ा तक पहुँचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है। नदी पार करने के बाद अधिकारी पाड़ा की दूरी केवल 1 से 1.5 किलोमीटर है लेकिन घुमावदार रास्ते से वहां पहुंचने पर यह दूरी बढ़कर लगभग 6-7 किलोमीटर हो जाती है इसमें काफी समय भी लगता है। इतना ही नहीं उस सड़क पर जंगल है। जंगल के रास्ते में लगभग हमेशा वन्यजीवों का डर बना रहता है।

हाथी, बाइसन और अन्य जंगली जानवरों के हमले में लोगों की जाने जाती रहती है। नदी पर कोई पुल नहीं है, इसलिए सभी छात्रों और गर्भवती महिलाओं को अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करके जंगल के रास्ते से यात्रा करनी पड़ती है। इतना जोखिम उठाकर गर्भवती महिलाएं टीका लेने उप स्वास्थ्य केंद्र जाने में आनाकानी करती है या कई बार नहीं जाती है। नतीजतन, इस क्षेत्र के कई बच्चे दिव्यांग पैदा होते हैं, यह दावा राभा डेवलपमेंट बोर्ड के सचिव रवि राभा का है। उनका कहना है कि ये बुनियादी सुविधाएं राभा बस्ती वासियों का हक है उन्हें यह मिलना ही चाहिए।

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