सुनों धरा पर रहने वालों धरती माता बोल रही हूँ जैसी कविताओं से सभागार गूंज उठा
बरेली। मानव सेवा क्लब के तत्वावधान में रविवार को क्लब के कहरवान स्थित कार्यालय सभागार में धरती माता और प्रकृति को लेकर काव्य की धारा बही। युवा कवि प्रताप मौर्य की कविता ‘सुनो धारा पर रहने वालों धरती माता बोल रही हूँ’ की जोरदार पंक्तियों से सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। काव्य गोष्ठी का विधिवत दीप प्रज्ज्वलित कर प्रारंभ कार्यक्रम के अध्यक्ष रमेश गौतम, मुख्यअतिथि विनय सागर जायसवाल, विशिष्ट अतिथि रणधीर प्रसाद गौड़, क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा और महासचिव सत्येन्द्र कुमार सक्सेना ने किया। मां शारदे की वंदना अरुणा सिन्हा ने की।
वंदेमातरम शकुन सक्सेना, रश्मि उपाध्याय ने किया। क्लब का आवाह्नगीत प्रकाश चंद्र सक्सेना ने बड़े ही मोहक ढंग से किया। किरन प्रजापति ने प्रकृति को लेकर गीत ‘जिसका शहर हो उसी का किस्सा चलता है, कैसा होगा कलयुग जब प्रकृति नहीं बचेगी’ बहुत पसंद किया गया। सत्येन्द्र सक्सेना की ‘रचा सृष्टि को जिस प्रभु ने वही यह सृष्टि चला रहे हैं’ की प्रस्तुति से लोगों की बहुत वाहवाही लूटी। विनय सागर ने ‘जो बेचते थे हुनर वह दुकान छोड़ गए” सुनाकर वातावरण गुंजायमान कर दिया। रमेश गौतम ने भी प्रकृति का गीत ‘पढ़ते हैं पर्यावरण की सभी किताब मौसम देता है मुँह तोड़ जवाब’ पर श्रोताओं से तालियां बटोरीं।
25 से ज्यादा कवियों ने कविता पाठ किया। कवियों में शकुन, रामकुमार भारद्वाज, हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष, मुज्जमिल हुसैन, उमेश त्रिगुणयत, राज शुक्ल ग़ज़लराज, उपमेन्द्र सक्सेना, सचिन सक्सेना, रमेश रंजन, डॉ. प्रणव गौतम, शिव रक्षा पांडेय, सुभाष राहत बरेलवी, ओम सक्सेना, रीतेश साहनी, अरुणा, उमाशंकर चित्रकार ने प्रकृति और धरा को बचाने से सम्बंधित बहुत ही सारगर्भित और सुंदर रचनाओं से वातावरण को रोमांचित कर दिया। काव्य गोष्ठी का संचालन वरिष्ठ कवि रणधीर प्रसाद गौड़ धीर ने किया। सभी का आभार सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने जताया।