जननी और जन्मभूमि के प्रेम जाग्रत करना सच्ची राष्ट्रीयता है – प्रो. शर्मा

  • देश भर के कवियों ने गाए आजादी के तराने

निप्र, उज्जैन : प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आजादी के तराने काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से उपस्थित साहित्यकारों ने आजादी के लिए जान देने वाले उन शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए, जिन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इस कार्यक्रम में देश के अलग- अलग भागों से कवि और कवयित्रियों ने भाग लिया, जिनमें प्रयागराज एवं अन्य नगरों से चर्चित कवि एवं कवयित्रियों ने प्रमुख रूप से अपनी देश भक्ति रचनाएं प्रस्तुत कीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. इंदु प्रकाश मिश्र ने की। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रभु चौधरी थे। प्राचार्य डॉ. इन्दु प्रकाश मिश्र इन्दु जौनपुरी की कविता की पंक्तियां थीं, नहीं त्रिकोण नहीं आयत संवर्ग समझता हूँ। भारत के अपनेपन को मैं स्वर्ग समझता हूँ। नेह भरे नयनों से कोई दे मीठा पानी। सस्मित अधरों से बरसाये अमरित सी बानी। ताजे निचुड़े द्राक्षा का संसर्ग समझता हूँ। भारत के अपनेपन को मैं स्वर्ग समझता हूँ।

मुख्य वक्ता हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने स्वतंत्रता आंदोलन में आजादी के तराने किस तरह जोश भरते थे, इस पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के भौतिक और आंतरिक – समस्त प्रकार के कल्याण की भावना से ही सच्चा देशप्रेम संभव है। जननी और जन्मभूमि के प्रति प्रेम जाग्रत करना सच्ची राष्ट्रीयता है। भारतवासियों के मन में हिमालय से सागर पर्यंत प्रेम सदियों से प्रादर्श रहा है। राष्ट्रीय भावना मानवीय मनोभावों की प्रगति का एक महत्त्वपूर्ण सोपान है।

डॉ. प्रभु चौधरी ने सभी का स्वागत किया और संस्था के लक्ष्य बताए। डॉ. नीलिमा मिश्रा ने सुनाया शहीदों की विरासत को हमें पूरा बचाना है। उर्वशी उपाध्याय प्रेरणा ने सुनाया मुझे आशा है और विश्वास हिंदुस्तान बदलेगा। गीता सिंह ने सुनाया- हमारे शूरवीरों ने दिया है हर पहर पहरा। इसके अतिरिक्त जिन्होंने आजादी के खूबसूरत तराने प्रस्तुत किए उनमें नीना मोहन श्रीवास्तव, अना इलाहाबादी, डॉ. उपासना पांडे, राजेश सिंह राज, ईश्वर शरण शुक्राशुक्ला, डॉ. मुक्ता कौशिक, रश्मि चौबे, डॉ. पूर्णिमा कौशिक, सुवर्णा जाधव, पुणे ने देश प्रेम से ओतप्रोत भक्ति गीत प्रस्तुत किए।

डॉ. नीलिमा मिश्रा, प्रयागराज की काव्य पंक्तियां थीं, शहीदों की विरासत को हमें पूरा बचाना हैं। हमें अपने वतन की आन पर सब कुछ लुटाना है। उर्वशी उपाध्याय ‘प्रेरणा’ की पंक्तियां थीं, मुझे आशा है और विश्वास हिंदुस्तान बदलेगा, धुंधलका का अब नहीं होगा यहां प्रतिमान बदलेगा। डॉ. गीता सिंह की पंक्तियां थीं, हमारे शूरवीरों ने दिया हर चप्पे पर पहरा, वो सोए दिन नही रतिया के पहरू जागते रहना।

आभा मिश्रा, प्रयागराज की काव्य पंक्तियाँ थीं, तिरंगे की शान में जान देने को तैयार। हम हैं राष्ट्र के पहरेदार हम हैं राष्ट्र के पहरेदार। तिरंगे से लिपट के आऊं यही जीवन का सार। हम हैं राष्ट्र के पहरेदार, हम हैं राष्ट्र के पहरेदार। अभिषेक केसरवानी रवि की कविता की पंक्तियां थीं, तोड दू बेडी देश मे बिल्कुल रहने न लाचारी दूंगा, देश का सेवक कहे खून दो मै तुमको आजा़दी दूंगा। प्रियंका द्विवेदी, मंझनपुर कौशाम्बी ने शहीदों की याद कविता प्रस्तुत की। इसकी पंक्तियां थीं, आई उनकी यादें फिर से, भूल गए जिनका बलिदान! जिसने आजादी की खातिर हँसकर कसमें खाई थी, झूल गए फंदे से कहकर, आगे शेष लड़ाई है।

अनामिका पाण्डेय अना इलाहाबादी की पंक्तियां थीं, नए पत्ते भी आयेंगे, दिखेंगे पुष्प दल तुमको। जड़ों को सींचते रहना, मिलेंगे फूल फल तुमको। डॉ. उपासना पाण्डेय, प्रयागराज की काव्य पंक्तियां थीं, मैंने देखा एक सपना, प्यारा भारत हो अपना। घर- घर में दीप जलें, खुशियों के हो फूल खिलें। भुवनेश्वरी जायसवाल ने काव्य पाठ और आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का खूबसूरत संचालन रश्मि चौबे ने किया।

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