अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : होली

।।होली।।
अशोक वर्मा “हमदर्द”

जमाना खराब है नौजवानों के हाथों में शराब है
चला है पश्चिम हवा का झोंका इस बार होली में,

अक्सर बहक गये है रास्तों से ये
ताजीम क्या सीखेंगे इस बार होली में,

चारो तरफ हवा चली है फिर बनेंगे मोदी प्रधान
भाजपा के सांसद नाचेंगे इस बार भी होली में,

लोगों का स्वार्थ चरम पर धरती खून से लाल
खून रंगों में मिल जायेगा इस बार भी होली में,

महंगाई पर लटकी हुई है भाजपा की तकदीर
मोदी-शाह गुपचुप करेंगे इस बार होली में,

रोजगार चला गया है ठंढे बस्तों की झोली में
रोएंगे नौजवान घूम-घूम इस बार भी होली में,

होली में हुल्लड़ मचाते धन्ना सेठ कुबेर
बस्ती के लोग भूखे सोएंगे इस बार भी होली में।।

अशोक वर्मा “हमदर्द”, लेखक