कोलकाता। अर्पिता मुखर्जी ने कोलकाता के टॉलीगंज और बेलघरिया में उनके दो आवासों से लगातार दो बार भारी मात्रा में नकदी और सोना बरामद होने के बाद गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने कबूल किया कि उन्हें मजबूर किया गया था। पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी ने उनके घरों को अवैध नकदी रखने के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देने को कहा था। ईडी के सूत्रों के मुताबिक, मुखर्जी ने यह भी स्वीकार किया कि उनके आवास से बरामद नकदी को चटर्जी ने अपने एक अज्ञात सहयोगी की मदद से वहां रखा था।
ईडी के एक अधिकारी ने कहा, “अर्पिता ने कबूल किया है कि चटर्जी उसके टॉलीगंज और बेलघरिया दोनों आवासों में सप्ताह में एक या दो बार आते थे और उनके साथ एक अज्ञात व्यक्ति भी आया करता था। अधिकारी ने पुष्टि की, “चटर्जी ने अर्पिता को अलमारी नहीं खोलने और उन कमरों में बार-बार आने से बचने का सख्त निर्देश दिया थे, जहां से नकदी बरामद की गई थी।” यह पता चला है कि चटर्जी जब भी अर्पिता मुखर्जी के आवास पर जाते थे, तो मंत्री अज्ञात व्यक्ति के साथ बंद कमरे में बैठक करते थे। उसमें अर्पिता को भाग लेने की अनुमति नहीं थी।
एक ईडी अधिकारी ने कहा, “बयान देते समय अर्पिता की आंखों से आंसू बह रहे थे और चह लगातार दावा कर रही थीं कि उनका शोषण किया गया। अब हमें उस अज्ञात व्यक्ति तक पहुंचना होगा, जो चटर्जी का साथ दे रहा था। वह कौन है, इसका जवाब केवल पार्थ चटर्जी ही दे सकते हैं।” इस बीच, पार्थ चटर्जी को उनके मंत्री और पार्टी पदों से तत्काल प्रभाव से मुक्त करने के लिए तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व पार्टी के भीतर से भारी दबाव में है।
तृणमूल कांग्रेस राज्य महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने एक ट्वीट में कहा, “पार्थ चटर्जी को मंत्रिमंडल और पार्टी के सभी पदों से तुरंत हटाया जाना चाहिए। उन्हें निष्कासित किया जाना चाहिए। अगर मेरा यह बयान गलत है, तो पार्टी को मुझे भी सभी पदों से हटाने का पूरा अधिकार है।” मंत्री का नाम लिए बगैर तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता देबांग्शु भट्टाचार्य ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में सांकेतिक रूप से कहा कि शरीर को राहत देने के लिए उस फोड़े को बहा देना बेहतर होगा।