वसंत ऋतु के आगमन पर अर्चना संस्था ने किया स्वागत

कोलकाता। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही अर्चना संस्था के सदस्यों ने स्वरचित रचनाओं और गीत के साथ ही ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना की। ऋतुराज वसंत : बसंत और बहार, हैं दोनों ही धरती का श्रृंगार, जिन्दगी जटिल हो गई है। कवि बन्ने चंद मालू ने सुनाई- पीली पीली सरसों फूली-इंदू चांडक, जिनकी जिह्वा पर सदा सरस्वती का वास, उषा श्राफ ने मन की अमराई में कूके कोयल, प्रसन्न चोपड़ा ने महक रही है रात की रानी सुरभित सभी दिशाएं, मीठी सी खुशबू लेकर तुम जीवन में आए, शशि कंकानी ने जीवन से जब दुःखों का होगा अन्त, तभी सही मायने में आयेगा बसन्त।। कल तक जो वृक्ष थे मुरझाए, करने लगे हैं नव श्रंगार, लो आ गयी बसन्त बहार।।

हिम्मत चौरडिया ने बसंत पर दो दोहे- सिमट अँधेरा अब गया, ऋतु बसंत मन भावनी, दो कुण्डलिया – बाला सुन्दर देखकर, गुंजन अलि अब कर रहे सुनाए। अहमदाबाद से भारती मेहता ने मन जिंदा है तो हर उम्र में होता है वसंत! रूप, रंग, रस, गंध और स्वर, वसंत! क्या नही है तुम्हारे पास…?, सुशीला चनानी ने माँ शारदा की अर्चना में दो स्वरचित दोहे एक ॠतुराज बसन्त पर मनहरण छन्द, एक गीत “खोलो खोलो सखी मन के किंवाड बसन्त ॠतु आयी है” सुनाए।

मृदुला कोठारी ने वेद ऋचा जन्म दायिनी मंत्रों की झंकार प्राण प्रिय की रागिनी वंदन बारंबार…वाणी का हमें दान देकर दी अलौकिक भावना… संगीता चौधरी ने राजस्थानी रचना धमाल राग फाग रमावां रै म्हारी मिरगा नैणी फागण आयो रै गीत गाया। यह कार्यक्रम जूम पर हुआ। विद्या भंडारी ने सभी को शुभकामनाएँ दी। मृदुला कोठारी ने कार्यक्रम का सफल संचालन और धन्यवाद किया सुशीला चनानी ने। कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ. वसुंधरा मिश्र ने।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − two =