नहीं चलेगी मनमानी- फार्मा कंपनियों और डॉक्टरों पर यूनिफॉर्म कोड लागू

फार्मा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ पर सरकार का चाबुक चला!
भारत में कोई भी फार्मा कंपनी अब डॉक्टरों को फ्री सैंपल्स, गिफ्ट, लाभ, विदेश यात्रा सुविधा नहीं दे सकती- यूनिफॉर्म कोड आफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग एक्सरसाइज 2024 सराहनीय कदम- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर जिस तेजी के साथ भारत सभी क्षेत्रों सहित स्वास्थ्य क्षेत्र में नए-नए आयाम को प्राप्त कर नए अध्यायों की कड़ी में सफलताओं के झंडे गढ़ रहा है और नए-नए एम्स की नींव पड़ रही है, उससे भारत के भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। परंतु इसके लिए इन स्वास्थ्य सुविधाओं के कुछ अनुचित राहों पर जाने और लीकेज भी बंद करना उतना ही जरूरी है, जितना सरकार ने दिनांक 13 मार्च 2024 को पूरे भारत में यूनिफार्म कोड आफ फार्मास्यूटिकल एक्सरसाइज 2024 को लागू कर अपने कदम बढ़ा दिए हैं। अक्सर हम सुनते रहते हैं के दवाई कंपनियां अपने एमआर के द्वारा डॉक्टरों को अपनी कंपनी की दवाइयां लिखनें के एवज में ज्यादातर डॉक्टरों को अनेक गिफ्ट सुविधा, विशेष पैकेज, विदेश यात्रा, फ्री सेंपल लाभ इत्यादि देते हैं जिनके एवज में डॉक्टर उनकी दवाइयां मरीजों की पर्चियां में लिखकर देते हैं! हालांकि मैं इसकी सटीकता नहीं बता सकता परंतु ऐसा अनेक एमआर साथियों से जानकारी मिलती है, परंतु अब इस पर विराम लग जाएगा। ना फार्मा कंपनियां यह देगी, और ना ही डॉक्टर इसका लाभ उठा पाएंगे। परंतु मेरा आकलन है कि कुछ टेस्ट या जांच रिपोर्ट में भी डॉक्टरों के बीच आपसी मलाई की साठगांठ मिली भगत हो रही है इस पर भी कुछ कोड बनाने की जरूरत है। चूंकि फार्मा कंपनियों और डॉक्टरों पर यूनिफॉर्म कोड लागू कर सरकार ने अपनी मंशा जता दी है कि अब मनमानी नहीं चलेगी! इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत में कोई भी फार्मा कंपनी अब डॉक्टर को फ्री सैंपल्स, गिफ्ट लाभ, विदेश यात्रा सुविधा नहीं दे सकती क्योंकि यूनिफॉर्म कोड आफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग असेसरीज 2024 लागू हो गया है, जो सराहनीय कदम है।

साथियों बात अगर हम दिनांक 13 मार्च 2024 को जारी यूनिफॉर्म कोड आफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग एक्सरसाइज 2024 की करें तो, कोड के मुताबिक किसी भी फार्मास्युटिकल कंपनी या एजेंटों या वितरकों या थोक विक्रेताओं या खुदरा विक्रेताओं द्वारा किसी हेल्थकेयर प्रोफेश्नल या उसके परिवार के सद्स्य को उसके अपने लाभ के लिए कोई उपहार नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोई भी फार्मा कंपनी या एजेंट या वितरक किसी ऐसे व्यक्ति को आर्थिक लाभ या किसी अन्य तरह का लाभ नहीं दे सकता जो दवाइयों का सुझाव देने या फिर दवा की आपूर्ति का निर्देश देने के लिए योग्य हो। कोड के अनुसार, फार्मा कंपनियों या उनके प्रतिनिधि हेल्थकेयर प्रोफेशनल या उनके परिवार के सदस्यों को देश में या बाहर घूमने की सुविधाएं ऑफर नहीं कर सकते। इसमे रेल, हवाई जहाज, क्रूज के टिकट या खर्चे के साथ छुट्टियां आदि शामिल हैं। अगर कोई प्रोफेशनल किसी कॉन्फ्रेंस, सेमीनार या वर्कशॉप्स आदि में स्पीकर नहीं है तो उसे इसमें शामिल होने के लिए सुविधाएं नहीं दी जा सकती। ऐसे लोगों को फार्मा कंपनियां या प्रतिनिधि होटल में रुकने से लेकर अन्य सुविधाएं भी नहीं दे सकती। कोड के अनुसार हेल्थ प्रोफेशनल या उनके परिवार के सदस्यों को कैश आदि भी नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही अगर कोई शख्स किसी उत्पाद को सलाह के रूप में बताने के लिए योग्य नहीं है तो कंपनियां उस शख्स को फ्री सैंपल के रूप में दवाएं नहीं दे सकती। वहीं कंपनियां जिन डॉक्टरों को फ्री सैंपल देंगी उसका पूरा रिकॉर्ड रखेंगी और कंपनियां वैल्यू में अपनी सालाना घरेलू बिक्री का 2 फीसदी से ज्यादा फ्री सैंपल के रूप में बांट नहीं सकती।

साथियों बात अगर हम फार्मा कंपनी के लिए कोड को समझने की करें तो, फार्मा कंपनियों की एसोसिएशन को एक एथिक्स कमेटी बनानी होगी जिसमें कम से कम 3 से 5 सदस्य होने जरूरी हैं और इसका हेड कंपनी के सीईओ को होना अनिवार्य है। फार्मा कंपनी की एसोसिएशन अपनी वेबसाइट पर शिकायत करने का सही प्रोसीजर भी जारी करेगी संगठन की वेबसाइट पर मौजूद शिकायत की प्रक्रिया और कोड सरकार की केमिकल और फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री के डिपार्मेंट आफ फार्मा की वेबसाइट से लिंक होगा। फार्मा कंपनी की संगठन को अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी कि किस कंपनी के खिलाफ शिकायत आई है, वह शिकायत किस तरह की है, उस शिकायत पर क्या संज्ञान लिया गया है और इस जानकारी को कम से कम 5 वर्ष तक वेबसाइट पर बनाए रखना होगा। अगर कोई फार्मा कंपनी किसी भी संगठन से जुड़ी हुई नहीं है तो ऐसे में फार्मा इंडस्ट्री एसोसिएशन के पास जाकर ऐसी कंपनी के खिलाफ शिकायत दी जा सकती है। सरकार का डिपार्मेंट आफ फार्मास्यूटिकल भी ऐसी फार्मा कंपनी की शिकायत को सुन सकता है। शिकायत कर्ता को अपनी पहचान बतानी जरूरी होगी। अनजान व्यक्ति किसी फार्मा कंपनी के खिलाफ शिकायत नहीं कर सकता। किसी भी तरह के दिशा निर्देश या नियम कानून के उल्लंघन के 6 महीने के अंदर शिकायत करना जरूरी होगा। शिकायत करने वाले को एक हज़ार रुपए जमा कराने जरूरी होंगे।शिकायत की सुनवाई कर रही एथिक्स कमेटी को शिकायत मिलने के 90 दिन के अंदर अपना फैसला सुनाना होगा। अगर फार्मा कंपनी के खिलाफ मामला साबित हो जाता है तो एथिक्स कमिटी उस कंपनी के खिलाफ सीमित दायरे में कार्रवाई करने के लिए भी स्वतंत्र है।अगर दोनों में से कोई भी पक्ष एथिक्स कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह अपेक्स कमेटी के पास जा सकता है जिसकी अध्यक्षता सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग के सेक्रेटरी करेंगे।

साथियों बात अगर हम फार्मा कंपनी के निम्न गतिविधियों की शिकायत की करें तो, दवा कंपनियों की इन इन गतिविधियों के खिलाफ की जा सकती है शिकायत : फार्मा कंपनियां अगर किसी दवा का या प्रोडक्ट का विज्ञापन करना चाहती हैं या प्रमोशन करना चाहती हैं तो वह नियम कानून के दायरे में रहकर ही किया जा सकता है। बिना प्रतियोगी कंपनी की मंजूरी लिए अपने प्रोडक्ट की दूसरी कंपनी के प्रोडक्ट के साथ तुलना नहीं की जा सकती।
(1) फार्मा कंपनियां डॉक्टरों को नहीं दे सकती मुफ्त के गिफ्ट्स।
(2) विदेश में सेमिनार के नाम पर यात्राएं भी नहीं करवा सकती।
(3) फार्मा कंपनियां स्वयं या फिर किसी एजेंट के जरिए किसी भी डॉक्टर उसके परिवार वाले दोस्त या फिर रिश्तेदारों को किसी भी तरह के गिफ्ट्स या पैसे नहीं दे सकती।
‌(4) फार्मा कंपनी डॉक्टर के साथ मिलकर एजुकेशनल सेमिनार और कॉन्फ्रेंस कर सकती है लेकिन ऐसे आयोजन देश से बाहर करने पर पूरी तरह से पाबंदी है।
(5) देश में भी ऐसे सेमिनार करने पर फार्मा कंपनियां ऐसे किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट को मुफ्त का ट्रेवल नहीं करवा सकती जो उसे सेमिनार में स्पीकर के तौर पर नहीं जा रहा।
(6) सेमिनार वर्कशॉप या कॉन्फ्रेंस के टूर आयोजन में कितना खर्च हुआ और वह खर्च कहां से किया गया इसकी पूरी जानकारी फार्मा कंपनियों को सार्वजनिक तौर पर अपनी वेबसाइट पर जारी करनी होगी।

साथियों बात अगर हम फार्मा कंपनी और डॉक्टर के गठजोड़ पर बंधन की करें तो, दवा कंपनियां अब डॉक्टरों को किसी तरह का उपहार और मुफ्त सैंपल नहीं दे पाएंगी। इस संबंध में औषधि विभाग ने मंगलवार को नई संहिता अधिसूचित कर दी। औषधि विपणन प्रथाओं के लिए समान संहिता (यूसीपीएमपी), 2024 लोगों को मुफ्त नमूनों (सैंपल) की आपूर्ति पर भी प्रतिबंध लगाती है जो ऐसे उत्पाद को इस्तेमाल की सिफारिश करने के योग्य नहीं हैं। यूसीपीएमपी गाइडलाइंस के मुताबिक, कोई भी फार्मा कंपनी या उसका एजेंट (वितरक, थोक विक्रेता, फुटकर विक्रेता इत्यादि) द्वारा किसी भी स्वास्थ्य पेशेवर या उसके परिवार के सदस्य (नजदीकी या दूर का) को कोई उपहार या निजी लाभ प्रदान नहीं कर सकते। इसी तरह कोई भी फार्मा कंपनी या उसका एजेंट दवा का परामर्श देने या आपूर्ति करने के पात्र किसी व्यक्ति को कोई आर्थिक लाभ की पेशकश नहीं कर सकते। सरकार ने फार्मा कंपनियां और डॉक्टर के बीच गठजोड़ को रोकने के लिए नया कदम उठाया है। फार्मा कंपनियों की किसी भी तरह की गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने के लिए हर फार्मा कंपनी को अपनी वेबसाइट पर इस कोड का पालन करना होगा। ब्रांड प्रमोशन के नाम पर गलत तरह से विज्ञापन करने के चलन को भी इस कोड के जरिए रोका जा सकेगा। सरकार की तरफ से जारी हुआ कोड ऑफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज का पालन सभी फार्मा कंपनियों को करना होगा। कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर इसका पालन करना होगा, ताकि गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने में ग्राहकों को आसानी हो। सरकार के इस कदम से गलत तरह से विज्ञापन के जरिये ब्रांड प्रमोशन पर भी रोक लगेगी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पुरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नहीं चलेगी मनमानी- फार्मा कंपनियों और डॉक्टर पर यूनिफॉर्म कोड लागू।फार्मा कंपनियों और डॉक्टरों के गठजोड़ पर सरकार का चाबुक चला! भारत में कोई भी फार्मा कंपनी अब डॉक्टर को फ्री सैंपल्स, गिफ्ट, लाभ, विदेश यात्रा सुविधा नहीं दे सकती यूनिफॉर्म कोड आफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग एक्सरसाइज 2024 सराहनीय कदम है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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