भारतीय सेना में पाकिस्तानी जासूसों की नियुक्ति, हाई कोर्ट ने दिया एफआईआर दर्ज करने का आदेश

कोलकाता। सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम के अंतर्गत बैरकपुर छावनी में पाकिस्तानी नागरिकों की भारतीय सेना में नौकरी करने को लेकर बुधवार को नया मोड़ आया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद तत्काल एफ आई आर दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं। बुधवार को हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता ने सीबीआई को इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने और जल्द जांच शुरू करने का निर्देश दिया। कोर्ट के आदेश पर शुरुआत में सीबीआई ने इस मामले की जांच की है। दावा है कि उनके हाथ कुछ अहम जानकारियां लगी हैं। केंद्रीय एजेंसी ने बुधवार को हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद जज ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। सीबीआई को अपनी रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय सेना में भर्ती के कई सबूत मिले हैं।

सीबीआई को कम से कम चार लोगों की अवैध भर्ती के बारे में पता चला है। हालाँकि, अभी तक यह निश्चित नहीं है कि उस दस्तावेज़ के माध्यम से कोई पाकिस्तानी नागरिक सेना में शामिल हुआ है या नहीं। लेकिन सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने देश की सुरक्षा की खातिर जल्द जांच के आदेश दिए हैं। सीबीआई ने बुधवार को जस्टिस सेनगुप्ता की अदालत में मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी।

वहीं, उन्होंने कहा, “सेना में विदेशी नागरिकों की घुसपैठ के आरोप का अखिल भारतीय और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है। जांचकर्ताओं को पता चला है कि पूर्वोत्तर भारत समेत कई राज्यों में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सेना में भर्ती की जा रही है। इस संबंध में एक उपमंडल अधिकारी (एसडीओ) पर सीबीआई की नजर है। कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज पर उनके हस्ताक्षर हैं लेकिन वह मान नहीं रहा है।

हाई कोर्ट ने पहले ही सीआईडी को यह जांच करने का आदेश दिया था कि क्या वाकई भारतीय सेना में पाकिस्तानी नागरिक हैं और वे कैसे आए? बाद में हाई कोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा ने सीबीआई से इस मामले को देखने को कहा था। कोर्ट का कहना था कि देश की सुरक्षा के लिए सभी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए।

आरोप था कि उत्तर 24 परगना के बैरकपुर के आर्मी कैंप में दो पाकिस्तानी नागरिक काम कर रहे थे। इनके नाम जयकांत कुमार और प्रद्युम्न कुमार हैं। कथित तौर पर वे पाकिस्तान से आकर भारतीय सेना में शामिल हुए थे। इनकी नियुक्ति भी सरकारी परीक्षा से हुई है। उन्होंने उस परीक्षा में आवश्यक दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल की। इस शिकायत पर हाईकोर्ट में केस दायर किया गया था। यह मामला हुगली निवासी विष्णु चौधरी ने दायर किया था। जस्टिस मंथा ने इस घटना में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की भी आशंका जताई।

सीबीआई के मुताबिक, उत्तर 24 परगना में फर्जी दस्तावेजों के जरिए भर्ती के सबूत मिले हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में भी इसी तरह से भर्ती की जाती है। कथित तौर पर न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि अन्य राज्यों में भी इस नियुक्ति की मिसालें मौजूद हैं। सीबीआई का दावा है कि ऐसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए कोई विदेशी नागरिक सेना में नौकरी पा सकता है। उस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। दावा है कि इस पूरे घटनाक्रम में सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं।

इस संदर्भ में, न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने बुधवार को कहा, चूंकि यह राज्य सीमावर्ती है। उस मौके का फायदा उठाकर विदेशी नागरिक फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए सेना में प्रवेश कर रहे हैं। तत्काल जांच शुरू की जानी चाहिए। साथ ही जज ने आदेश दिया कि जब तक सीबीआई जांच रिपोर्ट देगी, राज्य पुलिस याचिकाकर्ता बिष्णु चौधरी की सुरक्षा की व्यवस्था करेगी।

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