सब तुम हो माँ
ईश्वर कहीं है तो
वो तुम हो माँ।
जन्नत कहीं है तो
वो तेरा साथ है माँ।
इस बेगानी दुनिया में
कोई अपना है तो
वो बस तुम हो माँ।
कांटों से भरे इस जीवन में
फूलों सा महकता आँचल
वो तेरा है माँ।
शेषनाग के बाण जैसे
जीवन में होते आघातों से
जो हर बार उबारे
वो तेरा संजीवनी आशीर्वाद है माँ।
शब्द से परे जिसकी परिभाषा
वो तेरा निश्छल प्रेम है माँ।
थके हारे बच्चों को जो
निरंतर उत्साहित कर राह दिखाए
वो पथपर्दशिका तुम हो माँ।
मन के घनघोर अँधेरे में
जो दीपक बन जगमगाए
वो तेरे बोल हैं माँ।
मेरा सबकुछ,सबकुछ
मेरी खुशी ,मेरी आत्मा
सब तुम हो माँ।
-अनुपमा झा ✍🏻