तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। अनंत आनंद के त्योहार हैं झूलन और राखी पूर्णिमा महोत्सव। इस्कॉन के मुख्य केंद्र श्रीधाम मायापुर में रविवार 27 अगस्त 2023 से गुरुवार 31 अगस्त 2023 तक आयोजित पांच दिवसीय महासमारोह में 39वां झूलन एवं राखी पूर्णिमा उत्सव उचित धार्मिक गरिमा एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। शाम 5 बजे चंद्रोदय मंदिर से रंगारंग संकीर्तन जुलूस के साथ श्री श्री राधामाधव को झूलन मंडप ले जाया जाएगा। रात्रि 8.30 बजे तक आरती कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, दीप दान, हिंदू खेल एवं प्रसाद वितरण चलता रहेगा। बता दें कि इस उत्सव में देश-विदेश के अनेक श्रद्धालु भाग लेते हैं।
झूलन यात्रा उत्सव श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से पूर्णिमा तिथि तक चलता है। झूलन उत्सव की शुरुआत द्वापर युग में हुई थी जो कि वृन्दावन में राधाकृष्ण की प्रेमलीला पर केन्द्रित थी। पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण इस धरती पर ईश्वर के अवतार के रूप में अवतरित हुए थे। झूलन यात्रा को वृन्दावन में स्थापित कृष्ण और राधारानी के सुन्दर रूप माधुरी और प्रेम प्रकाश के रूप में मनाया जाता है। राधा कृष्ण ने सबसे पहले वृन्दावन के कुंजवन में शुद्ध प्रेम के आदान-प्रदान के माध्यम से इस जीवित जगत में प्रेम को प्रकट किया और उस लीला के विभिन्न रूप इस युग में झूलनत्रों में प्रदर्शित किए जाते हैं।
झूलन मंडप का निर्माण वर्ष भर किया जाता है। झूलन गुरुकुल और गौशाला के बगल में स्थित है
मंडप प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर, शीतल छाया वाला घोंसला, फूलों और फलों से भरपूर, वन दृश्यों से मनमोहक है। हल्की मालाओं और कृत्रिम फव्वारों का संयोजन आपको दूसरी अप्राकृतिक दुनिया में ले जाएगा। प्रत्यक्ष इसे देखे बिना इसकी अपार भव्यता को समझना मुश्किल है। परमात्मा मन के मणिकोठ में प्रवेश करेंगे। इस सम्बन्ध में आयोजकों की ओर से बताया गया कि झूलन प्रेम का त्योहार है, मिलन का त्योहार है, आत्मा और आत्मा के मिलन का त्योहार है। एक दूसरे को गले लगाने का त्योहार है।
झूलन एवं राखी पूर्णिमा पर्व देशभक्ति, देशप्रेम एवं आध्यात्मिक विकास के पर्व हैं। प्रयास है कि झूलन और राखी पूर्णिमा का त्योहार समाज के हर कोने तक पहुंचे। दुनिया भर में प्यार, दोस्ती, प्यार और मजबूत मानवीय बंधन स्थापित हों।